
अटका आयुर्वेद विवि का शोध, मरीजों की अरुचि ने लगाया आयुर्वेद दवा के अध्ययन पर ब्रेक
जोधपुर. कोरोना से ठीक हुए मरीजों की अरूचि ने डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन् राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय की ओर से बनाई गई विशेष दवा का अध्ययन अटका दिया है। कोरोना मरीजों पर एलोपैथी दवाइयों की निर्भरता और उनके साइड इफैक्ट को कम करने के लिए अप्रेल-मई में दूसरी लहर में शुरू हुआ अध्ययन अब इसलिए पूरा नहीं हो पा रहा है, क्योंकि मरीज वांछित फॉलोअप देने से बच रहे हैं।
विवि की टीम ने बोरानाडा कोविड केयर सेंटर में ६० मरीजों पर खास तौर पर बनाई गई तीन दवाइयों का अध्ययन शुरू किया था। पंद्रह दिन तक इन दवाइयों का प्रभाव रिकॉर्ड करना था, लेकिन ठीक होकर घर पहुंचे कई मरीजों ने डॉक्टरों को फॉलोअप देना बंद कर दिया। एेसे में यह रिसर्च फिलहाल पूरा नहीं हो पा रहा।
साठ मरीजों पर अध्ययन
आयुर्वेद विवि का यह रिसर्च कोरोना की तीसरी लहर के दौरान काम आ सकता है। पहली व दूसरी लहर में ली गई पैरासीटामॉल, एजिथ्रोमाइसिन व आइवरमेटिन जैसी एलोपैथी दवाइयों के साइड इफैक्ट अधिक होने के कारण आयुर्वेद दवाइयों पर रिसर्च शुरू हुआ था। इसमें बोरानाडा कोविड केयर सेंटर पहुंचे ७४ मरीजों का रजिस्ट्रेशन कर ६० पर अध्ययन शुरू किया गया। तीस मरीजों को केवल आयुर्वेद और बाकी ३० को आयुर्वेदिक दवाएं आयुष-६४, संशमनी वटी (गिलोय) और वातश्लेष्मिक ज्वरघ्न क्वाथ (काढ़ा) व एलोपैथी दवाइयां साथ दी गई। आयुष-६४ में चार दवाइयों कुवेराक्षी, चिरायता, सप्तपर्ण व कुटकी का मिश्रण था। काडा में १२ प्रकार की दवाइयां थी।
मरीजों को देना था फॉलोअप
इन तीन दवाइयों का १५ दिन तक प्रभाव देखना था। आयुर्वेद विवि के शोध छात्र व डॉक्टरों की टीम ने ठीक होकर घर गए मरीजों से दवाइयों का प्रभाव जानना चाहा कि किसी को उल्टी, दस्त, जी मिचलाना, बदन दर्द या अन्य शिकायत तो नहीं है। साथ ही ताजगी अनुभव हो रही या नहीं? ठीक हुए ४० में से २० मरीज फॉलोअप देने में रुचि नहीं दिखा रहे।
तीसरी लहर में हो सकती है उपयोगी
आयुष-६४, संशमनी वटी और वातश्लेष्मिक जवरघ्न क्वाथ दवाइयों मरीजों का बुखार तोडऩे, रोग प्रतिरोधकता क्षमता बढ़ाने, लीवर को ठीक करने, फेफड़ों में जमे कफ को बाहर निकालती है। इनका साइड इफैक्ट नहीं है। अध्ययन पूरा हो जाता है तो ये दवाइयां कोविड की तीसरी लहर में उपयोगी साबित हो सकती है।
‘कुछ मरीजों ने फॉलोअप देने में रुचि नहीं दिखाई है। इसलिए हम अभी किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचे हैं। उम्मीद है जल्द ही मरीजों से तालमेल बैठाकर इसे पूरा कर लिया जाएगा।’
प्रो अभिमन्यु कुमार सिंह, कुलपति, डॉ एसआरएस आयुर्वेद विवि जोधपुर
Published on:
06 Aug 2021 12:52 pm
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