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छपाई की हस्तकला पर संकट के बादल, विदेश में बढ़ी मांग से मिला जीवनदान

पीपाड़ सिटी में तैयार किए जा रहे कपड़े अमरीका, ब्रिटेन और सऊदी अरब में भी महिलाओं की पसंद बन रहे हैं।

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Eco friendly art of dyeing and printing

प्राकृतिक रंगों से प्रिंटेड कपड़े।

पीपाड़ सिटी (जोधपुर) . कभी हजारों घरों में रोजगार का माध्यम रही इको फ्रेंडली रंगाई-छपाई की कला अपने ही देश मे बेगानी हो रही हैं, लेकिन विदेश में आज भी प्राकृतिक रंगों से सूती वस्त्रों पर रंगाई छपाई की बढ़ती लोकप्रियता से इस कला के संरक्षण की उम्मीद जगी है।

पीपाड़ सिटी में कुछ परिवार आज भी अपनी पुश्तैनी कला को रोजगार का माध्यम बनाए हुए हैं। सूती कपड़ों पर प्राकृतिक रंगों से रंगाई छपाई के काम मे पुराने कुंड, लोहे, मिट्टी के बर्तनों में लकड़ी की आग से रंगों को बनाकर लकड़ी के ब्लॉक से प्रिंटिंग का काम किया जाता हैं। पीपाड़ सिटी में तैयार किए जा रहे कपड़े अमरीका, ब्रिटेन और सऊदी अरब में भी महिलाओं की पसंद बन रहे हैं।

ऐसे होती है छपाई

रंगाई-छपाई में प्राकृतिक रंगों बनाने के लिए प्राकृतिक खनिज पदार्थों के साथ तालाब के तल की मिट्टी का उपयोग किया जाता है। इसमें इण्डिगो बीज, पत्तियां, कसीस, जाजी पता, अरण्डी का तेल, हल्दी, कोंच, अलीजर, गोंद, चूना, चिये का आटा, अनार का छिलका, गावड़ी का फूल, फिटकरी, लोहा, सोडा, काला गुड़, नाईजीरियन गोंद, केसूला फूल, मोर थोथा, काली मिट्टी सहित फूलों की पत्तियों का उपयोग विभिन्न प्रकार के रंगों को बनाने में किया जाता है।

संरक्षण की दरकार

प्राकृतिक रंगों से रंगे वस्त्र शरीर के लिए लाभदायक होने के साथ चर्म रोगों से बचाव में उपयोगी है। प्राकृतिक रंगों की कला के साथ इससे रंगे वस्त्रों को खादी ग्रामोद्योग की तरह राज्य सरकार की ओर से संरक्षण दिए जाने की जरूरत है। इस कला को पुन: अपने अस्तित्व में आने के साथ युवाओं के रोजगार का परम्परागत माध्यम के रूप में विकसित किया जा सकता हैं। - नोशाद अली छींपा, युवा व्यवसायी

इनकी भी पसंद

पीपाड़सिटी में प्राकृतिक रंगों से तैयार वस्त्रों की मुरीद तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल का परिवार भी रहा है। पाटिल के समय यहां के बने पर्दे और बेडशीट राष्ट्रपति भवन की शोभा बढ़ा चुके हैं। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी प्राकृतिक रंगों से रंगे सूती कपड़ों के मुरीद रहे है।

केन्द्र व राज्य सरकार की और से प्राकृतिक रंगों से रंगाई- छपाई की कला को लेकर कई बार सम्मानित किया जा चुका है। इस परम्परागत कला को राज्य सरकार लघु उद्योग का दर्जा दे तो इसका विकास सम्भव हैं। इसमें रोजगार की अपार संभावना है। -मोहम्मद यासीन छीपा, हस्तशिल्पी

फैशन डिजाइनर की पसंद

प्राकृतिक रंगों की इस कला की जानकारी लेने विदेशी फैशन डिजाइनर, पर्यटकों में भी विशेष पहचान बनने से पीपाड़ सिटी आते जाते रहते है। निफ्ट और आइआइटी स्टूडेंट प्रशिक्षण के लिए यहां आती रहती हैं।