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गांव में खुले रोजगार के द्वार, इस फल की बढ़ रही देश-विदेश में मांग

Agriculture News: थार के रेगिस्तान में किसानों को अनार की बागवानी रास आ रही है। बालेसर क्षेत्र के रेतीले धोरों पर स्वादिष्ट एवं गुणकारी फल अनार की खेती के उत्पादन ने ग्रामीण क्षेत्र में न केवल रोजगार के नए द्वार खोल दिए है बल्कि अब तो यहां पैदा होने वाली अनार का विदेश तक में निर्यात होने लगा है।

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Agriculture News: थार के रेगिस्तान में किसानों को अनार की बागवानी रास आ रही है। बालेसर क्षेत्र के रेतीले धोरों पर स्वादिष्ट एवं गुणकारी फल अनार की खेती के उत्पादन ने ग्रामीण क्षेत्र में न केवल रोजगार के नए द्वार खोल दिए है बल्कि अब तो यहां पैदा होने वाली अनार का विदेश तक में निर्यात होने लगा है। जोधपुर जिले में बालेसर के किसान जब्बर सिंह इंदा ने अपनी मेहनत और लगन से खेती के कृषि के नए आयाम स्थापित किए है। प्रगतिशील किसान खेत सिंह राजपुरोहित ने खनन का कार्य को छोड़कर रेतीले धोरों पर अनार उत्पादन शुरू किया और 22 बीघा रेतीली जमीन पर भगवा सिंदुरी किस्म के 4000 अनार के पौधे लगाए। करीब तीन साल तक कड़ी मेहनत के बाद रेतीले धोरे अनार की फसल ने उनकी जिंदगी में बदलाव ला दिया। जिसे देखने और अनार को खरीदने के लिए भारत के कोने-कोने से व्यापारियों के साथ विदेश से भी व्यापारी पहुंच रहे हैं। पौधों से अनार तोड़ने एवं अनार की पैकिंग करने से लेकर बाजार में अनार बेचने तक गांवों के लोगों को रोजगार मिल रहा है।
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प्रगतिशील किसान जब्बर सिंह इंदा के अनुसार 3 साल की मेहनत के बाद प्रथम वर्ष करीब 45 टन अनार बेचा, दूसरे वर्ष 55 टन अनार बेचा था। इस वर्ष 80 टन से ज्यादा पैदावार का अनुमान है। लागत निकालने के बाद प्रतिवर्ष 10 लाख से ज्यादा मुनाफा मिल जाता है। अनार के पौधे अब बड़े हो चुके हैं । प्रथम वर्ष एक पौधे पर करीब 12 किलो अनार मिला था, दूसरे वर्ष 17 किलो तो इस वर्ष एक पौधे पर 30 किलो अनार उत्पादन संभावना है। बालेसर के ही रेतीले धोरों पर अनार की बंपर पैदावार से स्थानीय बाजार में अनार सस्ता मिलने से लोग जमकर खरीदारी भी कर रहे हैं।
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प्रतिवर्ष 10 लाख से ज्यादा मुनाफा
बालेसर में रेतीले धोरों पर अनार की बंपर पैदावार एवं सबसे बेहतर भगवा सिंदुरी अनार खरीदने के लिए भारत के पश्चिम बंगाल, कोलकाता, बिहार, नागपुर, आगरा, उत्तर प्रदेश सहित बड़े शहरों के अलावा बांग्लादेश ,नेपाल सहित विदेशों से भी व्यापारी खरीदने के लिए आते हैं। अनार को व्यापारी चार भागों में बांटकर छोटी बड़ी एवं किलोग्राम के हिसाब से अलग-अलग पैकिंग करते हैं। जिनकी अलग-अलग दर निर्धारित होती है। पैकिंग में भी एक दर्जन से ज्यादा कर्मचारी मेहनत करते हैं जो चार-पांच दिन बाद एक ट्रक अनार से लोड होता है। यूपी के व्यापारी मुकेश ने बताया कि अन्य शहरों की बजाय रेगिस्तान में विशेषकर बालेसर के रेतीले धोरों पर पनपने वाली अनार का फल शुद्ध पानी एवं जैविक खाद से तैयार होता है। इनके खाने में स्वाद ही विशेष होता है इसलिए बाहर इनकी ज्यादा मांग होती है। इस वजह से हम लोग यहां बालेसर के रेतीले दौर पर अनार खरीदने के लिए आते हैं।