
जोधपुर में संगत करने आए प्रसिद्ध तबला वादक नितिन दिगवेकर व तेजोवृष जोशी, शास्त्रीय संगीत का बताया महत्व
जोधपुर. फतेहसागर स्थित वैष्णव संगीत महाविद्यालय रामानुज कोट में पंडित हुकुमदास वैष्णव की पुण्यतिथि के अवसर पर पंडित प्रभाकर वी पटवर्धन की ओर से स्वरांजलि में संगीत कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें मुंबई से आमंत्रित तबला वादक नितिन दिगवेकर और तेजोवृष जोशी ने जुगलबंदी प्रस्तुत कर सुधि श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया। पत्रिका से विशेष बातचीत में उन्होंने अपने सुर-संगीत की यात्रा साझा की है। प्रख्यात तबला वादक पद्मभूषण अहमद जान थिरकवा की परंपरा से जुड़े दिगवेकर व जोशी ने बताया कि दोनों ने पंडित बापू पटवर्धन से तबला वादन की शिक्षा प्राप्त की है। वह फारुखाबाद घराना से हैं।
तबले को न कहें इंडियन ड्रम
दिगवेकर ने बताया कि उनके दादा पंडित महादेवराव दिगवेकर गायक थे और पिता बालासाहब दिगवेकर संगतकार थे। बचपन से ही संगीत का माहौल देखने पर उनकी रुचि इस क्षेत्र में ही रही। पहले जन्मदिन पर तबला वादक थिरकवा से उन्हें आर्शीवाद मिला था। इसलिए यही वाद्य यंत्र चुना। उन्होंने पिता से ही तबला वादन की शिक्षा प्राप्त की है। साथ ही वह भारतीय रेलवे में भी सेवाएं दे रहे हैं। देश के विभिन्न शहरों में आयोजित कार्यक्रमों में वादन किया है। चंद्रशेखर विजय, डॉ राम नैने, विदुषी शाल्मली आदि के साथ संगत की है। उन्होंने कहा कि संगीत सहित अन्य कला के क्षेत्रों में गुरु-शिष्य परंपरा का निर्वहन किया जाना चाहिए। तबले को इंडियन ड्रम कहकर इसके महत्व को कम आंका जाना गलत है। उन्होंने बताया कि आज टोकने की आदत कम होने के कारण शुद्ध संगीत के नाम पर कुछ भी परोसा जाने लगा है।
युवा शास्त्रीय संगीत को दे बढ़ावा
युवा तबला वादक तेजोवृष ने बताया कि उनकी माता विदुषी शाल्मली जोशी शास्त्रीय गायिका है और जयपुर अतरौली घराने से ताल्लुक रखती हैं। पिता सुनील जोशी म्यूजिक कम्पोजर हैं। उन्होंने 10 साल की आयु से ही तबला वादन शुरू किया। वह देश-विदेश में वादन कर चुके हैं और पंडित विश्वनाथ कान्हेरे, पंडित संजीव चिमलगी और अपनी माता के साथ संगत की है। उन्होंने कहा कि व्यक्ति को एक वाद्य यंत्र में महारत हासिल करते हुए गुरु के सिखाए रास्ते का ही अनुकरण करना चाहिए। हालांकि आजकल फ्यूजन के प्रति दीवानगी बढऩे लगी है लेकिन यह तभी तक सही जब तक सही संगीत का हृास न किया जाए। उन्होंने कहा कि युवा देश के शास्त्रीय संगीत को समझे और आगे बढ़ाए।
Updated on:
15 Sept 2019 04:05 pm
Published on:
15 Sept 2019 10:05 am
बड़ी खबरें
View Allजोधपुर
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
