
सुखोई फाइटर जेट्स (फाइल फोटो)
गजेंद्र सिंह दहिया
भारत और पाकिस्तान के मध्य लगभग युद्ध जैसी स्थिति में हुए ऑपरेशन सिंदूर में लड़ाकू विमान सुखोई-30 एमकेआइ 'युद्ध हीरो' के तौर पर सामने आया है। रफाल सहित अन्य जहाजों से लगभग डेढ़ गुना बड़ा होने के कारण यह आसानी से पाकिस्तान के रडार सिस्टम पर आ गया। इसके बावजूद सुखोई ने चीन की पीएल-15ई बियॉन्ड-विजुअल-रेंज (बीवीआर) एयर-टू-एयर मिसाइलों और एचक्यू-9बीई सरफेस-टू-एयर मिसाइलों (सेम्स) को चकमा दे दिया।
दोनों मिसाइल प्रणाली को सुखोई ने नष्ट कर दिया, जो पाकिस्तान का सबसे बड़ा एयर डिफेंस था। छह मई को पाकिस्तान और पीओके में आतंकवादी ठिकानों पर हमला करने के बाद सुखोई ने 10 मई की सुबह पाकिस्तान पर ब्रह्मोस मिसाइल से हमला किया, जो गेमचेंजर साबित हुआ। सुखोई ने ब्रह्मोस के हमले से पाकिस्तान के तीन सामरिक महत्व के एयरबेस उड़ा दिए। सूत्रों के अनुसार इस घातक हमले ने पाक के डीजीएमओ को सीजफायर के लिए मजबूर किया था।
रफाल आने से पहले भारत का प्रमुख फ्रंटलाइन एयरक्राफ्ट सुखोई-30 था। यह 4 जनरेशन लड़ाकू विमान है, जबकि रफाल 4.5 जनरेशन लड़ाकू विमान है, इसके बावजूद इसकी इलेक्ट्रोनिक वारफेयर केपेबिलिटी और हवा में स्पीड व डायरेक्शन बदलने की तकनीक से इसे फिर से फ्रंट लाइन पर खड़ा कर दिया है।
पश्चिमी राजस्थान के सबसे प्रमुख सामरिक एयरबेस जोधपुर में सुखोई-30 की ही एक स्क्वाड्रन तैनात है। पहलगाम अटैक के बाद पाकिस्तान से मुकाबले के लिए सुखोई बैकअप एयरबेस से फ्रंटलाइन एयरबेस पर आ गया। ब्रह्मोस मिसाइल से हमले में जोधपुर एयरबेस के सुखोई की भूमिका रही।
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भारतीय वायुसेना, हिंदुस्तान एयरोनोटिक्स लिमिटेड और डीआरडीओ मिलकर अगले साल सुखोई-30 को अपग्रेड करने की योजना शुरू कर सकते हैं। इसके तहत इसमें एडवांस सिस्टम लगाकर इसे 4.5 जनरेशन विमान बनाया जाएगा।
Published on:
14 May 2025 06:03 am
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