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फ्रांस ने शोध में बताया आईवरमेक्टिन दवा को कोरोना में कारगर, जोधपुर में फेल हुआ यह दावा

locationजोधपुरPublished: May 29, 2020 09:12:02 am

Submitted by:

Harshwardhan bhati

फ्रेंच के शोध में पेट में कीड़े मारने की दवा आइवरमेक्टिन को बताया था कोरोना में सफल, लेकिन ये दवा जोधपुर के चिकित्सकों के शोध में रही फेल, यहां हाइड्रोक्लोरोक्विन निकली सफल
 

france claims ivermectin dose effective for corona, jodhpur rejected

फ्रांस ने शोध में बताया आईवरमेक्टिन दवा को कोरोना में कारगर, जोधपुर में फेल हुआ यह दावा

अभिषेक बिस्सा/जोधपुर. फ्रेंच चिकित्सकों की ओर से आइवरमेक्टिन ड्रग कोरोना बीमारी में असरकारी बताने के दावे ने जोधपुर डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के चिकित्सकों व रोगियों ने फेल साबित कर दिया है। इस दवा का प्रयोग जोधपुर में कोरोना मरीजों पर किया गया, लेकिन दवा से रोगियों को कोई विशेष फर्क ही नहीं पड़ा। वहीं जोधपुर के चिकित्सकों ने हाइड्रोक्लोरोक्विन दवा को जोधपुर में कोरोना वायरस के लिए उपयोगी माना है।
इसके लिए शोध पेपर तैयार हो चुका है। जो जल्द पब्लिश होने वाला है। जबकि बच्चों के पेट में कीड़े मारने वाली दवा आइवरमेक्टिन को फ्रांस में हुए रिसर्च में कोरोना के लिए बेहद उपयोगी बताया गया था। जबकि इस दवा का जोधपुर में एक भी रोगी पर कोई विशेष प्रभाव ही नहीं पड़ा।
कुल 80 कोरोना मरीजों पर हुआ अध्ययन
इस शोध के लिए 80 कोरोना संक्रमित मरीजों को चुना गया। इसमें से केवल 40 मरीजों को केवल हाइड्रोक्लोरोक्विन दवा दी गई। इसके बाद शेष 40 मरीजों में, 20 को आइवरमैक्टिन व 20 को हाइड्रोक्लोरोक्विन दवा दी गई। ये वे मरीज थे, जिनमें कोरोना संक्रमण ज्यादा था। ऐसे में रिकवरी दर हाइड्रोक्लोरोक्विन की ज्यादा रही। जबकि सार ये निकला कि आइवरमैक्टिन दवा देने से कोई फायदा नहीं है। इसके विपरीत मरीजों को दूसरे साइड इफैक्ट होने का खतरा भी रहा।
ये थे अध्ययन शोध में शामिल
डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज प्रिंसिपल डॉ. जीएल मीणा की अनुमति से प्रिंसिपल इंवेस्टीगेटर सीनियर प्रोफेसर डॉ. नवीन किशोरिया, मेडिसिन के एचओडी डॉ. श्यामलाल माथुर, सहायक आचार्य डॉ. हरिश अग्रवाल, सहायक आचार्य डॉ. वीरम परमार व रेजिडेंट डॉ. सोमिल साथ रहे। इस शोध अध्ययन को नेशनल व इंटरनेशनल जनरल में प्रकाशित करने भेजा जाएगा। बता दें कि ब्रिटिश मेडिकल जनरल में कुछ दिन पूर्व चीन के चिकित्सकों ने शोध में एचसीक्यू दवा को बेअसर बताया था। जबकि जोधपुर में ये दवा असरकारी साबित हो रही है।
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