
Indian Railways News: करीब डेढ़ साल पहले शुरू हुआ फलोदी से इलेक्ट्रिक ट्रेन संचालन का इंतजार अब पूरा होने को है। इसका सबसे बड़ा कारण राइकाबाग-फलोदी-जैसलमेर रेल मार्ग का लंबित विद्युतीकरण का कार्य पूर्ण हो गया। ऐसे में जोधपुर-फलोदी-जैसलमेर के मध्य की दूरियां कम होगी और यात्रियों को 100 किलोमीटर प्रतिघंटा से अधिक की रफ्तार से इलेक्ट्रिक रेल में सफर का लाभ मिलना सुगम हो सकेगा।
उत्तर पश्चिम रेलवे के जोधपुर मंडल पर राइकाबाग से वाया फलोदी- जैसलमेर रेल मार्ग का विद्युतीकरण कार्य पूरा हो गया है। गौरतलब है कि सामरिक और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण 30 किलोमीटर लंबे इस ट्रैक पर पूर्व में राइका बाग से भीकमकोर, भीकमकोर से फलोदी व फिर फलोदी से पोकरण के बीच इलेक्ट्रिक लोगो से रन ट्रायल सफल रहा था। ऐसे में अब अब जैसलमेर से आशापुरा गोमट स्टेशनों के बीच सौ किलोमीटर प्रतिघंटा की स्पीड से इलेक्ट्रिक लोको से रन ट्रायल के बाद इसे इलेक्ट्रिक ट्रेनों के संचालन के लिए फिट माना गया है।
जोधपुर डीआरएम पंकज कुमार सिंह ने बताया कि उत्तर पश्चिम रेलवे जोन के प्रधान मुख्य बिजली इंजीनियर मनीष कुमार गुप्ता के निर्देशन में मुख्यालय व जोधपुर मंडल के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ इलेक्ट्रिक लोको- 43411 से जैसलमेर-राइकाबाग रेल मार्ग के जैसलमेर से आशापुरा गोमट रेलवे स्टेशनों के बीच सौ किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से सफल रन ट्रायल लिया। रन ट्रायल के लिए इलेक्ट्रिक लोको शाम 7.58 बजे जैसलमेर से रवाना होकर रात्रि 10.46 बजे आशापुरा गोमट पहुंच गया।
इससे पहले प्रधान मुख्य बिजली इंजीनियर ने आशापुरा गोमट, भादरिया लाठी व जैसलमेर रेलवे स्टेशनों पर विद्युतीकरण कार्यों का गहन निरीक्षण किया। इसके साथ ही जोधपुर मंडल पर कराए जा रहे संपूर्ण विद्युतीकरण की दिशा में रेलवे ने एक कदम और आगे बढ़ाते हुए राइकाबाग से फलोदी- जैसलमेर रेल मार्ग के विद्युतीकरण कार्य पूरा करवा लिया है।
जानकारों की माने तो जोधपुर से जैसलमेर तक जुड़े इस रेल मार्ग पर अब थैय्यात हमीरा से सोनू गुड्स साइडिंग के बीच 56 किमी रूट मार्ग पर इलेक्ट्रिफिकेशन का काम शेष रह गया है, जिसे जल्द पूरा करवा लिया जाएगा।
गौरतलब है कि जोधपुर-जैसलमेर रेल मार्ग की भारतीय रेलवे में बड़ी अहमियत है। जहां एक और यह लाइन देश को पश्चिमी सरहद से जोड़ती है वहीं दूसरी ओर धार्मिक दृष्टि से ओसियां, फलोदी, रामदेवरा व पोकरण जैसे प्रसिद्ध स्टेशनों पर देश भर से श्रद्धालुओं की आवाजाही वर्ष पर्यंत बनी रहती है। अब जब इस रेल लाइन का इलेक्ट्रिफिकेशन पूरा हो गया है तो ट्रेनों के संचालन समय में कमी आएगी और रेलवे की डीजल पर निर्भरता कम होने के साथ ही पर्यावरण संरक्षण की दिशा में किए जा रहे प्रयासों को गति मिलेगी।
Updated on:
03 Jul 2024 03:45 pm
Published on:
03 Jul 2024 02:31 pm
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