
rajasthan high court : अग्रिम वेतन वृद्धि की सिफारिश पर पुनर्विचार करे सरकार
अग्रिम वेतन वृद्धि की सिफारिश पर पुनर्विचार करे सरकारः हाईकोर्ट
हाईकोर्ट के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों, जमादारों व चालकों का मामला
जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को हाईकोर्ट के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों, जमादारों व चालकों को एक अग्रिम वेतन वृद्धि के लिए भेजी गई सिफारिश पर दो महीने में पुनर्विचार करने को कहा है। साथ ही यह यकीन भी जताया कि राज्य सरकार इस मामले में एक निष्पक्ष दृष्टिकोण अपनाएगी और कोई भी निर्णय पूर्व के विचारों से प्रभावित नहीं होगा।
याचिकाकर्ता राजस्थान हाईकोर्ट असिस्टेंट एम्प्लॉयज एसोसिएशन एवं अन्य की ओर से 3 मई, 2013 से प्रभावी एक अग्रिम वेतन वृद्धि एसोसिएशन के सदस्यों को भी दिए जाने के लिए राज्य सरकार को निर्देश देने की याचना की गई थी। एसोसिएशन के सदस्य हाईकोर्ट में कार्यरत चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी, जमादार, बस्ता बरदार, दफ्तरी, लाइब्रेरी बॉय, कुक, वेटर और स्वीपर तथा कोर्ट के प्रोटोकॉल कर्तव्यों से जुड़े चालक (ड्राइवर) हैं। न्यायाधीश विजय बिश्नोई तथा न्यायाधीश प्रवीर भटनागर की खंडपीठ में याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि राज्य सरकार ने 1 जून, 2017 से न्यायिक सहायक, कनिष्ठ न्यायिक सहायक आदि को एक अग्रिम वेतन वृद्धि का लाभ दिया, जबकि याचिकाकर्ताओं को वंचित रखा। जबकि रजिस्ट्रार जनरल ने कई बार याचिकाकर्ताओं को एक अग्रिम वेतन वृद्धि देने की सिफारिश की है। हाल ही सरकार ने एक बार फिर सिफारिश को इस आधार पर अस्वीकार किया कि देश के अधिकांश हाईकोर्ट में याचिकाकर्ताओं के समान कर्मचारियों को यह लाभ नहीं दिया जा रहा और इसे लागू करने की सूरत में आर्थिक भार बढ़ेगा।
खोजना होगा अपना तंत्र
खंडपीठ ने कहा कि प्रत्येक हाईकोर्ट को अपने प्रशासन को सुचारू रूप से चलाने के लिए विशेष चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। उन विभिन्न चुनौतियों का सामना करने के लिए, प्रत्येक हाईकोर्ट के लिए कोई सार्वभौमिक सूत्र लागू नहीं किया जा सकता है और प्रत्येक हाईकोर्ट को अपना तंत्र खोजना होगा। राजस्थान हाईकोर्ट को अपने प्रशासन को सुचारू रूप से चलाने में जिन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, वह अन्य स्थानों पर नहीं हो सकती है। यह कारण हो सकता है कि अधिकांश हाईकोर्ट अपने समान श्रेणी के कर्मचारियों को लाभ नहीं दे रहे हैं। वित्तीय प्रभाव के सवाल पर खंडपीठ ने सुप्रीम कोर्ट के एक निर्णय के हवाले से कहा कि इस तरह के विचार हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की सिफारिश को अस्वीकार करने का आधार नहीं हो सकते हैं।
Published on:
09 Feb 2023 11:19 pm
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