28 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

GANG SHYAM TEMPLE: यहां ठाकुरजी को साल में एक बार ही पहनाया जाता स्वर्ण व रत्नजडि़त मुकुट

जोधपुर शहर के प्राचीन गंगश्याम मंदिर के स्थापना दिवस पर होते है विशेष मनोरथ- बसंत पंचमी से शुरू हुआ फ़ाग उत्सव, होरियों की मचेगी धूम

less than 1 minute read
Google source verification

जोधपुर

image

Amit Dave

Feb 14, 2024

GANG SHYAM TEMPLE: यहां ठाकुरजी को साल में एक बार ही पहनाया जाता स्वर्ण व रत्नजडि़त मुकुट

GANG SHYAM TEMPLE: यहां ठाकुरजी को साल में एक बार ही पहनाया जाता स्वर्ण व रत्नजडि़त मुकुट

जोधपुर।
भीतरी शहर में जूनी धान मंडी िस्थत गंगश्यामजी मंदिर का 262वां स्थापना दिवस माघ शुक्ला पंचमी बसंत पंचमी के दिन बुधवार को मनाया गया, यह मंदिर विक्रम संवत् 1818 में बना था। मंदिर में विराजित भगवान श्याम की विशेष पूजा, अभिषेक, श्रृंगार व मनोरथ किया गया। जिसमें ठाकुरजी को स्वर्ण मुकुट, खिड़किया पाग पहनाई गई, जो पूरे साल में केवल स्थापना दिवस के दिन ही पहनाई जाती है। ठाकुरजी को जनेऊ धारण कराया गया। इसके अलावा, पूरे साल में इसी दिन ठाकुरजी का कुुंकुम से तिलक कर श्रृंगार किया गया। वहीं, ठाकुरजी को अमृती पौशाक पहनाई गई।

---

6 समय आरती होती है
गंगश्यामजी मन्दिर में सुबह 4 से रात11 बजे तक श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। यहां पर वैष्णव परम्परा के अनुसार दिन में छह बार आरती होती है मंगला, श्रृंगार, राजभोग, उत्थापन, संध्या और सायं आरती निश्चित समय पर सम्पन्न की जाती है।

---
दहेज में मिले थे ‘श्यामजी’, राव गांगा ने मंदिर बनवाया तो बन गए ‘गंगश्यामजी’

मंदिर में प्रतिष्ठित भगवान श्याम की प्रतिमा जोधपुर नरेश राव गांगा को बतौर दहेज में मिली थी। राव गांगा (1515 से 1531) का विवाह सिरोही के राव जगमाल की पुत्री रानी देवड़ी से हुआ था। विवाह के बाद सिरोही से विदा होते समय राव जगमाल ने पुत्री की आस्था को देखते हुए कृष्ण की मूर्ति और ठाकुरजी की नियमित सेवा पूजा के लिए सेवग जीवराज को भी साथ दहेज के रूप में जोधपुर भेज दिया। पहले यह मूर्ति किले में स्थापित की गई, बाद में जूनी धान मण्डी में भव्य मन्दिर बनवाकर स्थापित की गई। राव गांगा ने यह मूर्ति स्थापित की इसलिए यह गंगश्यामजी कहलाए।
---