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कोयला संकट से बढ़ी सूर्य व हवा से आस, दुनिया की नजरें भी राजस्थान पर

locationजोधपुरPublished: Nov 12, 2021 01:59:33 am

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rajesh dixit

सौर ऊर्जा उत्पादन में हमारी तरक्की की दुनिया हुई मुरीदआईईए भी देख रही जोधपुर के भड़ला सोलर पार्क में आशा की किरण

कोयला संकट से बढ़ी सूर्य व हवा से आस, दुनिया की नजरें भी राजस्थान पर

कोयला संकट से बढ़ी सूर्य व हवा से आस, दुनिया की नजरें भी राजस्थान पर

सुरेश व्यास
जोधपुर। दुनिया भर में बढ़ती बिजली की मांग और लगातार घट रहे कोयले जैसे पारम्परिक ऊर्जा उत्पादन के संसाधनों के बीच जब गैर पारम्परिक ऊर्जा स्रोतों की अहमियत समझी जाने लगी है तो दुनिया के बड़े देश भी राजस्थान की ओर देखने लगे हैं।
अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) ने अपनी रिपोर्ट में जोधपुर के भड़ला सोलर पार्क को दुनिया का सबसे बड़ा सौर ऊर्जा स्रोत बताते हुए कहा है कि यही रफ्तार कायम रही तो भारत कार्बन उत्सर्जन नियंत्रण के साथ गैर पारम्परिक स्त्रोतों से बिजली उत्पादन में भी एक मिसाल बन सकता है और इसमें बड़ा योगदान राजस्थान का होगा। हाल ही ग्लासगो सम्मिट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन क्षेत्र में हो रही प्रगति की ओर दुनिया का ध्यान आकर्षित करते हुए दावा किया है कि अगले साल तक देश में 220 गीगावाट गैर पारम्परिक बिजली बनने लगेगी। इसमें भी राजस्थान का बड़ा योगदान होगा।
अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में राजस्थान इसलिए भी अहम है कि लगभग 5700 हैक्टेयर में स्थापित भड़ला सोलर पार्क में 2245 मेगावाट बिजली बनाई जा सकती है। प्रदेश में अभी 5 गीगावाट से ज्यादा सौर ऊर्जा उत्पादन हो रहा है। इसके अलावा राजस्थान ने देश के पांचवे सबसे बड़े पवन ऊर्जा उत्पादन केंद्र का दर्जा भी हासिल कर रखा है। साल 2001 में जैसलमेर के अमरसागर में स्थापित पवन ऊर्जा पार्क में साल 2012 में ही एक गीगावाट उत्पादन होने लगा था और आज प्रदेश में हवा से 4.3 गीगावाट बिजली बन रही है।
संकट में साथ देखा सूरज

आईईए की रिपोर्ट के अनुसार बिजली उत्पादन के पारम्परिक स्रोतों तेल, प्राकृतिक गैस और कोयले की उपलब्धता कम होती जा रही है। अब तक खोजे गए तेल भंडारों में से अधिकांश का दोहन हो चुका है। दुनिया में एक तिहाई बिजली कोयले से बनती है। भारत में 70 प्रतिशत बिजली कोयले से बनाई जा रही है। ऐसे में सौर व पवन ऊर्जा जैसे गैर पारम्परिक स्रोत आने वाले दिनों में अहम साबित होंगे।
इसलिए राजस्थान है अहम
प्रदेश में साल के 365 में से 325 दिन तक सूरज चमकता है, यह हमारी सौर ऊर्जा उत्पादन की सबसे बड़ी ताकत है। इसी के चलते सौर ऊर्जा की 7728 मेगावाट स्थापित क्षमता के साथ राजस्थान देशभर में सबसे ऊपर है। प्रदेश में अभी रोजाना 225 लाख यूनिट बिजली सूर्य से व 150 मेगावाट प्रतिदिन पवन ऊर्जा उत्पादन हो रहा है।
………….
राजस्थान में नवीकृत ऊर्जा उत्पादन

सौर ऊर्जा—7738
पवन ऊर्जा—4338

बायोमास ऊर्जा—120.45
सोलर रूफ टॉप—545

कुल—12741.45
(स्थापित क्षमता मेगावाट में)

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