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लॉकडाउन के चलते प्रदूषण-शोरगुल कम होने से अब घरों में गूंजने लगी है पक्षियों की चहचहाट

एक तरफ कोरोना महामारी ने मानव को उनकी हदों का एहसास कराते हुए घरों में रहने को मजबूर कर दिया है वहीं दूसरी तरफ प्रकृति व इससे जुड़े जीवों को मानव नया जीवनदान मिल गया है । अब घरों से लेकर हमारे आस पास उन पक्षियों की चहचहाट सुनाई देने लगी है

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house sparrow and other birds can be seen due to lockdown

लॉकडाउन के चलते प्रदूषण-शोरगुल कम होने से अब घरों में गूंजने लगी है पक्षियों की चहचहाट

नंदकिशोर सारस्वत/जोधपुर. एक तरफ कोरोना महामारी ने मानव को उनकी हदों का एहसास कराते हुए घरों में रहने को मजबूर कर दिया है वहीं दूसरी तरफ प्रकृति व इससे जुड़े जीवों को मानव नया जीवनदान मिल गया है । अब घरों से लेकर हमारे आस पास उन पक्षियों की चहचहाट सुनाई देने लगी है जो काफी समय से शहर में बढ़ते शोरगुल व प्रदूषण के चलते गायब थी। इन दिनों घरों से लेकर आसमान में उड़ते विभिन्न प्रकार के पक्षियों का कलरव आसानी से सुना जा सकता है। इससे पक्षी प्रेमियों में काफी हर्ष है। शहर की सूनी सड़कों से लेकर हरे भरे पेड़ों पर इन पक्षियों का झुंड उड़ान भरता साफ नजर आ रहा है।

30 वर्ष पुराने हालात
प्रवासी पक्षी विशेषज्ञ व यूथ अरणीय संस्था के शरद पुरोहित के अनुसार शहर पक्षियों के लिए आज से लगभग 30 वर्ष पहले जैसा नजर आ रहा है घरों से लेकर तालाबों के पास पूर्णशांति होने के चलते कायलाना, गोरेश्वर, बड़ली सहित विभिन्न जगहों पर शाम के समय पेड़ों पर कई पक्षियों को देखा जा सकता है। जो दिन भर इस शांत माहौल में आनंद मना कर शाम को अपने बच्चों के साथ इन पेड़ों पर अपना डेरा जमा लेते हैं ।इन दिनों ऐसा लगता है जैसे प्रकृति ने मानों अपना खोया हुआ अस्तित्व वापस पा लिया हो। इन पक्षियों की बात की जाए तो इनमें रोबिन, बारबेट, घरेलू चिडिय़ा, तोते, बाबलर, सनबर्ड, बया, शिकरा, कोयल आदि इन दिनों शहर में नजर आ रही है।

घरों में लगाए परिंडे
लाल बून्द जिन्दगी रक्षक सेवा संस्थान की ओर से वन्यजीवों व पक्षियों के लिए चुग्गे-पानी की व्यवस्था के लिए 400 से अधिक परिण्डे लगाए गए। संस्थान अध्यक्ष रजत गौड़ व सचिव रवि तिवाड़ी ने बताया कि पक्षियों की सुरक्षा व दाना पानी की व्यवस्था के लिए सभी लॉकडाउन का पालन करते हुए अपने अपने घरों की बालकनी व छत पर परिंडे लगाने का कार्य कर रहे हैं।