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जोधपुर: इंटरनेट कॉलिंग न होती तो शुरुआत में ही पकड़े जाते शूटर

जेल में बंद लॉरेंस ने रंगदारी ही नहीं, व्हॉट्सअप कॉलिंग का भी नासूर दिया

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इंटरनेट कॉलिंग न होती तो शुरुआत में ही पकड़े जाते शूटर

जेल में बंद लॉरेंस ने रंगदारी ही नहीं, व्हॉट्सअप कॉलिंग का भी नासूर दिया

जोधपुर/बासनी
शहर में रंगदारी के लिए फायरिंग कर के दहशत फैलाने वाली लॉरेंस गैंग को
पुलिस ने सलाखों के पीछे जरूर डाल दिया है, लेकिन पुलिस अधिकारियों को
अंदेशा है कि यह शहर के लिए नासूर न बन जाए। जेल में बंद होने के बावजूद
लॉरेंस पिछले दो तीन साल से पंजाब-हरियाणा के बाद राजस्थान में गोलियां
चलवा रहा है। लॉरेंस व उसके गुर्गे यह सब इंटरनेट कॉल के बूते कर रहे
हैं। यही वजह है कि जोधपुर पुलिस को उसके गुर्गे पकडऩे के लिए सात से आठ
महीने लग गए। देश में यदि इंटरनेट कॉलिंग पर पाबंदी अथवा कॉलिंग का
रिकॉर्ड मिलने लग जाए तो अपराध के इन तरीकों पर बहुत हद तक पाबंदी लग
सकती है। मोबाइल व्यवसायी की हत्या के मामले में कोर्ट में पेश चालान में
पुलिस ने इस तकनीकी खामी का उल्लेख किया है।

ढाई साल से जेल में लॉरेंस, कई गुर्गे बाहर सक्रिय
सरदारपुरा थानाधिकारी भूपेंद्रसिंह का कहना है कि लॉरेंस विश्नोई दो ढाई
साल से पंजाब जेल में बंद है, फिर भी वह मोबाइल पर इंटरनेट कॉलिंग के
बूते गैंग चला रहा है। उसके साथी जोधपुर जेल पहुंचे तो स्थानीय बदमाश भी
लॉरेंस के सम्पर्क में आ गए और उसने सामान्य कॉलिंग के बजाय इंटरनेट
कॉलिंग बता दी। यही वजह है कि शहर में गत चार मार्च को रंगदारी के लिए
दहशत फैलाने वालों तक पहुंचने में पुलिस को आठ महीने लग गए। पुलिस का
दावा है कि सामान्य कॉलिंग होती तो बदमाश अपराध की शुरुआत में ही पकड़े
जा सकते थे।

एफबी देती है डाटा, सरकार को बदलने चाहिए नियम
आईटी विशेषज्ञ प्रिया सांखला ने बताया कि वर्तमान में सोशल नेटवर्किंग
साइट फेसबुक, व्हॉट्सअप व अन्य के माध्यम से कई अपराध हो रहे हैं। एफबी
तो 68 प्रतिशत मामलों में जानकारी उपलब्ध करवा देता है, लेकिन व्हॉट्सअप
व अन्य कोई भी डाटा नहीं देते हैं। सरकार ने डिजिटल सिस्टम तो बना दिया,
लेकिन इंटरनेट सर्विस देने वाली कम्पनियां, चाहे वे देश की हों या विदेश
की उनके लिए ऐसे नियम नहीं बनाएं कि वो पुलिस की मददगार साबित हो सके।