भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) जोधपुर और डॉ सम्पूर्णानंद मेडिकल कॉलेज (एसएनएमसी) के मध्य आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) को लेकर एमओयू साइन किया गया है।
जोधपुर। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) जोधपुर और डॉ सम्पूर्णानंद मेडिकल कॉलेज (एसएनएमसी) के मध्य आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) को लेकर एमओयू साइन किया गया है। इसके तहत आईआईटी जोधपुर का सुपर कम्प्यूटर मेडिकल कॉलेज के टीबी हॉस्पिटल के मरीजों के डाटा के आधार पर एल्गोरिदम विकसित करेगा जो मरीजों की एक्स रे रिपोर्ट पढ़कर ही यह बता देगा कि उसे टीबी होगी या नहीं। भारत ने वर्ष 2025 तक और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 2030 तक दुनिया को टीबी मुक्त करने का टारगेट तय किया है। इससे टारगेट तेजी से प्राप्त किया जा सकेगा।
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मेडिकल कॉलेज में आयोजित हेल्थ कॉन्क्लेव के दौरान मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ दिलीप कच्छवाह और आईआईटी जोधपुर और टीआई एच (टेक्नोलॉजी इनोवेटिव हब) के मध्य एमओयू तीन साल के लिए किया, जिसमें ग्लोबल डिजिटल हैल्थ फॉर ऑल का टारगेट रखा गया है। पहला टारगेट एमडीआर टीबी को लेकर है, जिससे गांवों और ढाणियों को टीबी मुक्त किया जाएगा।
आईआईटी विकसित करेगा एआई मॉडल
आईआईटी जोधपुर एआई आधारित मॉडल पर वास्तविक ऑन-साइट शोध कार्य करेगा। ’’मल्टी ड्रग्स रेसिस्टेंट (एमडीआर) टीबी के लिए एआई आधारित रेडियोजेनोमिक्स’’ के लिए आईआईटी जोधपुर की ओर से टीबी अस्पताल का एक्स-रे, सीटी स्कैन, क्लिनिकल डेटा, आणविक परीक्षण डेटा और फेनोटिप जैसे नमूना डेटा एकत्र किया जाएगा। एमडीआर टीबी के शीघ्र निदान के लिए डेटा का परीक्षण कर एआई आधारित मॉडल विकसित करेंगे।
इनका कहना है
हमारे पास हजारों मरीजों के डाटा है, जिससे आईआईटी को बेहतर एआई मॉडल विकसित करने में मदद मिलेगी। इससे मरीजों को टीबी होने से पहले बचाया जा सकेगा।
डॉ सीआर चौधरी, अधीक्षक, टीबी एण्ड चेस्ट हॉस्पिटल, एसएनएमसी जोधपुर