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Inspiring Story : ऐसी महिलाओं की कहानियां जिन्होंने घरेलू बिजनेस को बनाया ब्रांड

लघु उद्योग दिवस विशेष : लघु उद्योग इकाइयों में दूसरे राज्यों के हजारों हुनरमंद श्रमिक नियोजित  

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Inspiring Story : ऐसी महिलाओं की कहानियां जिन्होंने घरेलू बिजनेस को बनाया ब्रांड

Inspiring Story : ऐसी महिलाओं की कहानियां जिन्होंने घरेलू बिजनेस को बनाया ब्रांड

जोधपुर. जोधपुर में संचालित लघु उद्योगों Laghu Udhyog से उत्पादित सामानों की आज विदेश में धूम है। सात समन्दर पार यहां से जाने वाले उत्पाद डॉलर में उद्यामियों को लाभ दे रहे हैं। यही कारण है कि गत एक दशक में Handicraft, Textile, ग्वारगम, Steel, Food Processing, एग्रो बेस्ड आदि इकाइयां चल रही है । इससे मारवाड़ के लाखों लोगों को रोजगार उपलब्ध करवाया है। साथ ही यहां की लघु उद्योग इकाइयों में दूसरे राज्यों के हजारों श्रमिक अपने हूनर से शहर का नाम रोशन कर रहे हैं। सीमित संसाधनों, कच्चे माल की कमी व कुशल-अकुशल श्रमिकों के बिना सामंजस्य उद्योगों का सफलतापूर्वक संचालन किया जा रहा है।

घरेलू हलवाई के बिजनेस को बनाया ब्राण्ड
पूर्वजों के ही मिठाइयां बनाने के काम को आगे बढ़ाया व इनमें ऑटोमेशन तरीके से काजू कतली को ब्राण्ड बनाया। साधारण हलवाई के बिज़नेस को उद्योग (फैक्ट्री) के स्तर पर पहुंचाया है। उद्यमी धनंजय टिलावत ने बताया कि कोविड के बाद लगातार उद्योग को मेंटेन करते हुए करीब 20-30 लोगों को रोजगार मुहैया करवा रहे है। साथ ही फ़ूड हायज़ीन सेफ्टी फीचर्स के साथ काजू कतली और दूसरे ड्राई फ्रूट स्वीट्स का उत्पादन कर रहे है।

4 साल में बनाई पहचान
वर्ष 1999 में घर से मुखवास व माउथ फ्रेशनर के शुगर कोटेड उत्पाद की शुरुआत कर चार साल बोरानाडा में अपना उद्योग लगाया। उद्यमी किशोर हरवानी ने बताया कि वे अपने उद्योग से 20 से ज्यादा लोगों को रोजगार दे रहे है ।

घर की बेकार चीजों से पैदा किया रोजगार
सुनीता शर्मा ने घर पर बेकार पडी हुई चीजों से रोजगार पैदा किया। सगाई शादी व अन्य घरेलू मांगलिक कार्यक्रम के लिए सजावटी सामान बनाने का घरेलू व्यवसाय है। पति की बीमारी व अन्य समस्याओं का सामना करते हुए 1996 में दस हजार रुपए से काम शुरू कर आज अपने बिजनेस को सालाना 16 से 18 लाख रुपए टर्न ओवर तक पहुंचाया। वर्तमान में करीब 5 हजार से अधिक महिलाओं को काम सिखाकर रोजगार दे रही है।

225 रुपए से शुरू किया काम
महामंदिर निवासी लक्ष्मी रामावत ने जीवन में कई संघर्ष किए। वर्ष 2002 में 225 रुपए लेकर घरेलू मंगोड़ी-पापड़ आदि का काम शुरू किया। बाद में वर्ष 2009 में 10 हजार रुपए का लोन लेकर काम को बढ़ाया। आज 500 महिलाओं को रोजगार से जोड़ा है।