न्यायिक अधिकारियों व कार्मिकों को सोशल मीडिया पर टिप्पणी से बचने के निर्देश
जोधपुरPublished: Jun 15, 2020 09:03:02 pm
सोशल मीडिया पर सरकार और हाईकोर्ट प्रशासन की नीतियों पर की जा रही टिप्पणी को भी गंभीरता से लिया गया है
न्यायिक अधिकारियों व कार्मिकों को सोशल मीडिया पर टिप्पणी से बचने के निर्देश
जोधपुर। राजस्थान हाईकोर्ट प्रशासन ने न्यायिक अधिकारियों तथा हाईकोर्ट सहित अधीनस्थ न्यायालयों व न्यायाधिकरणों के कार्मिकों को सरकार व न्यायपालिका की नीतियों के खिलाफ सोशल मीडिया पर किसी तरह की टिप्पणी, संदेश को पसंद या नापसंद करने तथा उसे अग्रेसित नहीं करने के लिए पाबंद किया है।
रजिस्ट्रार जनरल ने इस संबंध में स्थायी आदेश जारी करते हुए कहा कि पूर्व में 31 जनवरी, 2018 को आदेश जारी किया गया था, लेकिन उसकी सख्ती से पालना नहीं की जा रही। ऐसा देखा गया है कि न्यायिक अधिकारी या कार्मिक कार्यालय समय के दौरान सोशल मीडिया का उपयोग कर रहे हैं, जिससे न केवल न्यायिक कार्य प्रभावित हो रहा है, बल्कि पूरे सिस्टम की गरिमा और प्रतिष्ठा कम हो रही है। कुछ कार्मिक सोशल मीडिया पर उन मामलों पर भी राय व्यक्त कर रहे हैं, जिससे उनका कोई सीधा सरोकार नहीं है और ऐसे मामले सनसनीखेज भी है। ऐसा करना निंदनीय और अपमानजनक है। सोशल मीडिया पर सरकार और हाईकोर्ट प्रशासन की नीतियों पर की जा रही टिप्पणी को भी गंभीरता से लिया गया है। रजिस्ट्रार जनरल ने कहा कि आधिकारिक पत्राचारों को भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अनाधिकृत रूप से अग्रेषित किया जा रहा है जो आधिकारिक गोपनीयता का उल्लंघन है। यह राजस्थान सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1971 के प्रावधानों के तहत वर्जित है और ऐसा करने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है। हाईकोर्ट प्रशासन ने इंटरनेट के संयमित इस्तेमाल को तरजीह देते हुए सरकार या हाईकोर्ट की नीतियों के खिलाफ टिप्पणी करने से बचने को कहा है। साथ ही न्यायिक अधिकारियों और कर्मचारियों को पाबंद किया है कि सोशल मीडिया पर सिवाय आधिकारिक कर्तव्य के अलावा कोई आधिकारिक पत्राचार पोस्ट नहीं किया जाए। पालना नहीं करने पर कार्रवाई करने की चेतावनी भी दी गई है।