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पंचायतों के कुप्रबंधन पर रहेगी इसरो की ‘नजर’

- इसरो की इप्रिस योजना में 8 हजार से ज्यादा मानव संसाधन डिजिटलाइज्ड

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ISRO's 'eye' will remain on mismanagement of panchayats

- राज्य के 7 जिलों के 4 लाख 34 हजार सार्वजनिक संपतियों की सैटेलाइट मेपिंग

देवेन्द्र भाटी
बासनी (जोधपुर).भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) देश में ग्राम पंचायतों की सार्वजनिक संपतियों को डिजिटलाइज्ड कर पंचायती राज संस्थाओं को पारदर्शी बना रहा है। जिससे पंचायती राज संस्थाओं के लिए कुप्रबंधन करना और उसे छुपाना आसान नहीं होगा। इसरो की इप्रिस योजना से पंचायत के संसाधनों की सूची फोटो सहित सरकार तक पहुंचाने के लिए प्लेटफॉर्म उपलब्ध हो गया है।

इस काम के लिए इसरो ने अंतरिक्ष आधारित सूचनाओं को आम नागरिकों तक पहुंचाने के लिए देश में प्रथम चरण में 56 जिलों को चयनित किया। इस योजना में राजस्थान के चिन्हित 7 जिले जयपुर , जोधपुर , झालावाड़, अजमेर , भीलवाड़ा, प्रतापगढ और उदयपुर शामिल हैं। जहां संपतियों के मानचित्रण में सरकारी शिक्षण संस्थान, स्वास्थ्य सेवाओं में पीएचसी, सीएचसी, यातायात, बिजली और पानी सहित तमाम मानव संसाधनों की सैटेलाइट मैपिंग का काम शुरू कर दिया है।

जहां उपग्रह जनित स्थानलक्षी सूचनाओं की सहायता से ग्रामीण क्षेत्रों की विकासोन्मुखी योजनाएं बनाने के लिए मोबाइल एप के जरिए पंचायती राज प्रतिनिधियों और अधिकारियों के साथ पंचायत के आम लोगों की भागीदारी जमीनी सूचनाओं के रूप में सामने आ रही है।

मेन्युल डाटा डिजिटल फोरम में तब्दील

इस योजना में राजस्थान रीजन में अब तक 4 लाख 34 हजार संपतियों की मेपिंग की जा चुकी है। उसमें से अब तक 8 हजार 667 संपतियों को मेन्यूल से डिजिटल फोरम में तब्दील कर डाटा तैयार कर दिया गया है, जिसे इसरो के पोर्टल पर देख सकते हैं। इस योजना की पूरी तरह से क्रियान्विति के लिए नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर (एनआरएससी) की अगुवाई में राज्यों के रीजनल सेंटर्स, गैर सरकारी संगठन और शैक्षणिक संस्थानों को भागीदार बनाया है।

पारदर्शिता से सुधरेगा कुप्रबंधन


पंचायती राज संस्थाएं अंतरिक्ष आधारित सूचनाओं से ग्रामीण क्षेत्रों में विकास कार्यों के उपयोग के लिए पहले से ज्यादा सक्षम हो जाएंगी। सरकारी योजनाओं के धरातल पर उतरने तक आम व्यक्ति या ग्रामीण घर बैठे निगरानी कर सकता है। इससे सरकारी योजनाओं का कुप्रबंधन छुप नहीं पाएगा। पारदर्शिता के साथ साथ प्राकृतिक संसाधनों का बेहतर प्रबंधन होगा।
- सुपर्ण पाठक, हैड इंजीनियर (इप्रिस प्रोजेक्ट), रीजनल सेंटर, इसरो जोधपुर।


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