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जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय ने संबद्ध कॉलेजों को संबद्धता देने का काम को कमाई का जरिया बना रखा है। निजी कॉलेजों को किसी भी विवि से सम्बद्घता लेने से पहले विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी), एआईसीटीई, एनसीटीई, राज्य सरकार व संबंधित विवि के मापदंड़ों को पूरा करना होता है। हर वर्ष संबंधित विवि की ओर से गठित वार्षिक निरीक्षण कमेटी द्वारा इन निजी कॉलेजों का निरीक्षण कर मापदंड़ों की जांच करनी होती है। नए कॉलेज को सम्बद्घता देने से पहले इनमें से अधिकतर मापदंड़ों व सुविधाओं का अभाव होता है और विवि जल्द ही कमियों को दूर करने के लिए शपथ पत्र लेकर सम्बद्घता दे देता है। लेकिन समय के साथ न तो निजी कॉलेज अपनी सुविधाओं में इजाफा करता है न ही विवि इस ओर कोई ध्यान देता है। एक सत्र बीत जाने के बाद फिर विवि एक बार फिर वार्षिक निरीक्षण करता है और पेनल्टी लगाकर खानापूर्ति कर देता है।
पेनल्टी से कमाए पौने तीन करोड़ रुपए
जेएनवीयू से से संभाग के 150 से ज्यादा कॉलेज संबद्ध है। जिनमें कुछ स्थायी संबद्धता मिली हुई। वहीं शेष को हर वर्ष संबद्धता लेनी होती है। शैक्षणिक सत्र 2014-15 और 2015-16 की संबद्धता के लिए जिन कॉलेजों में खामियां पाई गई उन कॉलेजों करीब 2.75 करोड़ रुपए की पेनल्टी वसूल की गई। हर वर्ष पेनल्टी वसूल करके संबद्धता देने का काम जारी है।
सबसे ज्यादा बीएड कॉलेजों पर पेनल्टी
शैक्षणिक सत्र 2014-15 और 2015-16 में जिन कॉलेजों से पेनल्टी वसूली गई। उनमें सबसे ज्यादा संभाग के बीएड कॉलेज है। 64 बीएड कॉलेजों लाखों रुपए की पेनल्टी लगाई गई है।
इनका होता निरीक्षण
विवि द्वारा सम्बद्घता देने से पहले उस कॉलेज में स्थाई शैक्षणिक स्टॉफ, भवन की स्थिति, जमीन का मालिकाना हक, अध्ययन केन्द्र, पुस्तकालय, प्रयोगशाला, सेमिनार हॉल की स्थिति, कमरों की संख्या, स्टॉफ रूम, कम्प्यूटर लैब, खेल मैदान, लड़के व लड़कियों के लिए अलग-अलग कॉमन रूम सहित अन्य आधारभूत व ढांचागत सुविधाओं का निरीक्षण किया जाता है।
यह रहती हैं कमियां
- विवि के सम्बद्घ कई कॉलेजों में स्थाई स्टॉफ नहीं है जिससे गेस्ट फैक्लटी के भरोसे छात्रों का भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है।
- कई कॉलेज दो-तीन कमरों में ही 10-15 सेक्शन संचालित करने का कारनामा करते नजर आ रहे है।
- कई कॉलेजों के कक्षाओं में ब्लैक बोर्ड तक नहीं है।
- कई कक्षाओं में कबाड़ भरा हुआ मिला ।
- छात्र-छात्राओं के संख्या के अनुसार कमरों की संख्या नहीं थी ।
- छात्र-छात्राओं के लिए अलग-अलग कॉमन रुम नहीं मिले ।
- पुस्तकालयों के नाम पर एक आलमारी में कुछ पुस्तकें मिली ।
- प्रयोगशालाओं के स्थान पर एक-दो उपकरण मिलें।
- शिक्षकों को नियमानुसार वेतन नहीं दिया जाता
Published on:
29 Mar 2017 07:19 pm
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