फिर दिखेगा गहलोत वर्सेज़ खेतासर
गहलोत के चुनाव लड़ने की औपचारिक घोषणा के बाद ये तय माना जा रहा है कि वे अपनी परंपरागत और सबसे सेफ जोधपुर की सरदारपुरा विधानसभा सीट से ही चुनाव लड़ेंगें। हालांकि अभी पायलट ने इस बाबत कोई स्थिति साफ़ नहीं की है। बहरहाल, गहलोत के चुनाव लड़ने की बात से ये साफ़ हो गया है कि इस बार भी उनका सामना भाजपा नेता शम्भू सिंह खेतासर से ही होगा। खेतासर साल 2013 में भी गहलोत के सामने भाजपा के प्रत्याशी रहे थे।
गहलोत के चुनाव लड़ने की औपचारिक घोषणा के बाद ये तय माना जा रहा है कि वे अपनी परंपरागत और सबसे सेफ जोधपुर की सरदारपुरा विधानसभा सीट से ही चुनाव लड़ेंगें। हालांकि अभी पायलट ने इस बाबत कोई स्थिति साफ़ नहीं की है। बहरहाल, गहलोत के चुनाव लड़ने की बात से ये साफ़ हो गया है कि इस बार भी उनका सामना भाजपा नेता शम्भू सिंह खेतासर से ही होगा। खेतासर साल 2013 में भी गहलोत के सामने भाजपा के प्रत्याशी रहे थे।
राजस्थान विधानसभा चुनाव 2018 की खबरों से रहे अपडेट, यहां करें क्लिक
ये रहा था नतीजा
साल 2013 में ज़बरदस्त मोदी लहर भी गहलोत को इस सीट से जीत हासिल करने से रोक नहीं सकी। तब खेतासर को गहलोत के सामने चुनाव हारना पड़ गया था। इस चुनाव में गहलोत के खाते में 77 हज़ार 835 वोट पड़े थे जबकि खेतासर को 59 हज़ार 357 वोट से संतुष्ट होना पड़ गया था। इस लिहाज़ से गहलोत की जीत का अंतर 18 हज़ार 478 वोटों का रहा।
ये रहा था नतीजा
साल 2013 में ज़बरदस्त मोदी लहर भी गहलोत को इस सीट से जीत हासिल करने से रोक नहीं सकी। तब खेतासर को गहलोत के सामने चुनाव हारना पड़ गया था। इस चुनाव में गहलोत के खाते में 77 हज़ार 835 वोट पड़े थे जबकि खेतासर को 59 हज़ार 357 वोट से संतुष्ट होना पड़ गया था। इस लिहाज़ से गहलोत की जीत का अंतर 18 हज़ार 478 वोटों का रहा।
बीजेपी को फिर भरोसा
साल 2013 की तुलना में इस बार चुनावी समीकरण नए और बदले-बदले से हैं। ऐसे में दोनों ही प्रतिद्वंदियों को इस बार के चुनाव हलके में लेने की भूल नहीं करनी होगी। भाजपा की बात करें तो सरदारपुरा सीट से गहलोत का तोड़ निकालने में पार्टी अब तक नाकाम रही है। ‘जिताऊ’ कैंडिडेट के तौर पर भाजपा ने फिर से खेतासर को ही चुना है। खेतासर के अलावा बीजेपी को कोई दूसरा विकल्प नहीं दिखा लिहाज़ा फिर से उसी चहरे पर भरोसा जताते हुए रिपीट किया जा रहा है।
साल 2013 की तुलना में इस बार चुनावी समीकरण नए और बदले-बदले से हैं। ऐसे में दोनों ही प्रतिद्वंदियों को इस बार के चुनाव हलके में लेने की भूल नहीं करनी होगी। भाजपा की बात करें तो सरदारपुरा सीट से गहलोत का तोड़ निकालने में पार्टी अब तक नाकाम रही है। ‘जिताऊ’ कैंडिडेट के तौर पर भाजपा ने फिर से खेतासर को ही चुना है। खेतासर के अलावा बीजेपी को कोई दूसरा विकल्प नहीं दिखा लिहाज़ा फिर से उसी चहरे पर भरोसा जताते हुए रिपीट किया जा रहा है।
शंभू सिंह खेतासर भले ही चुनाव हार गए थे लेकिन उनके कद को देखते हुए सरकार बनने पर उन्हें राजस्थान खाद बीज निगम का अध्यक्ष बना दिया गया था। खेतासर हाल ही में सोशल मीडिया में वायरल हुई एक तस्वीर को लेकर चर्चा में रहे। तस्वीर में वे पीएम मोदी के स्वच्छ भारत मिशन के उलट खुले में एक दीवार पर पेशाब करते दिखाई दिए थे। हालांकि उन्होंने बाद में कहा था कि यह एक पुरानी परंपरा है और खाली पेशाब करने से गंदगी नहीं फैलती है।