
CAZRI CROP CAFETERIA: एक ही जगह 6 फसलों की 50 से ज्यादा वैरायटी
जोधपुर।
पश्चिमी राजस्थान की मौसम व जलवायवीय परििस्थतियों को देखते हुए केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (काजरी) में विकसित क्रॉप कैफेटेरिया न केवल राजस्थान बल्कि देशभर के किसानों के लिए कारगर साबित हुआ है। क्रॉप कैफेटेरिया में सीजन अनुसार सभी तरह की फसलों की कई वैराइटी एक ही खेत में उपलब्ध है। काजरी 'देखकर विश्वास करो' की परिकल्पना को साकार करते हुए शुष्क क्षेत्र की प्रमुख रबी फसलों जैसे सरसों, ईसबगोल, जीरा, मैथी, राजगिरा व चिया की उन्नत किस्मों को अनुशंसित उत्पादन तकनीक के साथ एक स्थान पर फसल वाटिका के रूप में लगाया है।इसका मुख्य उद्देश्य किसानों को उन्नत तकनीकी से रूबरू कराना है ताकि किसान इस तकनीक को अपने खेतों में अपनाए। कौनसी किस्म जल्दी पकने वाली और अधिक उत्पादन देने वाली है, उसका चयन अपनी रूचि अनुसार कर कर रहे है ।
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लागत कम व उत्पादन अधिक वाली तकनीक
पश्चिमी राजस्थान में किसान प्रायः फसलों की बुवाई छिंटकाव विधि से करते है। इससे बीज अधिक व खर्चा अधिक होता है । क्रॉप कैफेटेरिया में फसलों की पंक्तिबद्ध बुवाई करने से बीज की मात्रा कम, लागत कम व उत्पादन अधिक होता है ।
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सीजन अनुसार तैयार की जाती है फसल वाटिका
काजरी के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. एचआर महेला ने बताया कि फसल वाटिका में सीजन के अनुसार फसलों की विभिन्न वैरायटियां लगाई जाती है। वर्तमान में रबी फसलों में सरसों, मैथी, ईसबगोल, राजगिरा, जीरा व चिया की विभिन्न वैरायटियां लगाई गई है। वहीं, खरीफ सीजन में बाजरा, मूंग, मोठ, तिल और ग्वार आदि की वैरायटियां लगाई गई थी।---------
किस फसल की कितनी वैराइटी15 वैराइटी सरसों की
09 वैराइटी मैथी की
09 वैराइटी ईसबगोल की
09 वैराइटी राजगिरा की
05 वैराइटी जीरा की
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अच्छा रेस्पॉंस मिल रहाकाजरी में रबी व खरीफ फसल वाटिका का प्रदर्शन वर्ष -2016 से लगातार हो रहा है । जिसे देखने देशभर से किसान, विद्यार्थी व अन्य क्षेत्रों के लोग आ रहे है । हर साल यह संख्या बढ़ती जा रही है और अच्छा रेस्पॉंस मिल रहा है।
डॉ. ओपी यादव, निदेशक
काजरी
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Published on:
10 Feb 2023 07:47 pm
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