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लाखों खर्च होते हैं, फिर साफ क्यों नहीं हमारे अस्पताल

locationजोधपुरPublished: Jul 24, 2018 12:07:11 am

Submitted by:

Kanaram Mundiyar

-राजस्थान मेडिकल रिलीफ सोसायटी सदस्यों ने अस्पताल अधीक्षकों से मांगे जवाब
– सदस्य बोले, बैठकें कोरी औपचारिक न हों, अस्पतालों में सुधार चाहिए

Lakhs of expenses, then why not clean hospitals

लाखों खर्च होते हैं, फिर साफ क्यों नहीं अस्पताल

जोधपुर.
संभाग के सबसे बड़े मथुरादास माथुर अस्पताल सहित अन्य अस्पतालों में सफाई की अव्यवस्था को लेकर सोमवार को अधीक्षक राजस्थान मेडिकेर रिलीफ सोसायटी (एमआरएस) सदस्यों के निशाने पर रहे। सदस्यों ने कहा कि अस्पतालों में सफाई पेटे लाखों की राशि खर्च की जा रही है, लेकिन हमारे अस्पताल साफ सुथरे क्यों नहीं हैं। सभी सरकारी अस्पतालों की अहम परेशानी का यह मुद्दा एमआरएस की बैठक में उठा।
डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज के अधीन संचालित अस्पतालों के लिए गठित सोसायटी की बैठक संभागीय आयुक्त ललित गुप्ता व जिला कलक्टर रविकुमार सुरपुर की मौजूदगी में हुई। एमआरएस सदस्य भागीरथ वैष्णव, प्रकाश मेवाड़ा, विमला गहलोत, मुरली सेन आदि ने अस्पतालों की प्रमुख समस्याओं को लेकर सवाल कर अफसरों से जवाब मांगा। कॉलेज अधीक्षक डॉ. एसएस राठौड़, एमजीएच अधीक्षक पीसी व्यास, एमडीएम अधीक्षक एमके आसेरी, उम्मेद अस्पताल अधीक्षक डॉ. रंजना देसाई, डॉ. पीके खत्री सहित अन्य अधिकारियों व सदस्यों ने भाग लिया। गत बैठक में पारित कार्यों पर किए गए खर्चों का अनुमोदन किया गया। संभागीय आयुक्त ने गत बैठक के निर्णयों की अनुपालना की समीक्षा की। डॉ. सुरपुर ने मेडिकल कॅालेज के अधीन अस्पतालों के जर्नल्स की आवश्यकता बताई। उन्होंने एनर्जी अॅाडिट बनाने के प्रावधान का सुझाव दिया।

अधीक्षकों को एक लाख खर्च की पावर

संभागीय आयुक्त ने अस्पताल अधीक्षकों को छोटे-छोटे मद या कार्यों के लिए एमआरएस से एक-एक लाख तक की राशि खर्च करने स्वीकृति दी। एमजीएच की सुरंग सफाई के लिए अतिरिक्त बजट की स्वीकृति दी।
किडनी ट्रांसप्लांट जल्द शुरू करें
संभागीय आयुक्त व कलक्टर ने कॉलेज अधीक्षक एवं एमडीएम अस्पताल अधीक्षक से किडनी ट्रांसप्लांट शुरू करने में हो रही देरी पर विस्तार से चर्चा की। अस्पताल प्रशासन ने कहा कि किडनी ट्रांसप्लांट के लिए पूरी तरह तैयार हैं। यूनिट बनी हुई हैं। अस्पताल को लीगल एडवाइजर की जरूरत है। इस पर संभागीय आयुक्त ने संभावित खर्चों की जानकारी लेते हुए किडनी ट्रांसप्लांट जल्द शुरू करने के निर्देश दिए। अधीक्षक एमके आसेरी ने कहा कि पहला किडनी ट्रांसप्लांट जयपुर की टीम के द्वारा किया जाएगा।
पत्रिका की खबरों का जिक्र

बैठक ने सदस्य भागीरथ वैष्णव व प्रकाश मेवाड़ा ने पत्रिका में अस्पतालों की समस्याओं पर हाल ही छपे समाचारों के मुद्दों को प्रमुखता से उठाया।


सोसायटी सदस्यों यह उठाए मुद्दे-
– एमजीएच के सामने निजी अस्पतालों के विज्ञापन वाले यूनिपोल तत्काल हटाए जाएं।

– उम्मेद अस्पताल की टनल साफ करवा दी गई, तो एमजीएच की टनल की सफाई में कोताही क्यों बरती जा रही है?
– सफाई मद में करोड़ों की राशि खर्च की जा रही है, लेकिन हमारे अस्पताल साफ क्यों नहीं हैं? अफसरों को जवाब देना चाहिए।
– एमडीएम के ट्रोमा सेन्टर का मुख्य द्वार बंद क्यों हैं? साइड के गेट से गली से ले जाने में घायलों को ले जाकर परेशानी क्यों बढ़ाई जा रही है?
-एमआरएस के जरिए एक्सरे, ऑक्सीजन ईसीसी, ईईजी आदि विंग में लगे स्टाफकर्मी प्रशिक्षित क्यों नहीं ले रहे?
-अस्पतालों में लगे सीसीटीवी खराब क्यों हैं? सीसीटीवी चालू नहीं होने से अस्पताल में असुरक्षा है।
– कई बार ट्रॉलियां तो होती है, लेकिन ट्रॉलीमैन नजर नहीं आते, फिर अस्पताल प्रशासन का क्या प्रबंधन क्या है?
– उम्मेद अस्पताल में पुरुष गार्ड ही क्यों लगा रखे हैं? अस्पताल में लेबररूम में प्रवेश पर पैसे मांगने जैसी शिकायतें क्यों आ रही हैं?
– बॉयोवेस्ट प्लास्टिक थैलियों में संग्रहण का काम ठप क्यों हैं? खुले में कचरा परिवहन कर संक्रमण क्यों बढ़ाया जा रहा है?
– टीबी अस्पताल के हालात बिगड़े हुए हैं, प्रशासन गंभीरता क्यों नहीं दिखा रहा?

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