
-संजय लीला भंसाली, दीपिका पादुकोण व रणवीरसिंह भावनाएं भड़काने व इतिहास से छेड़छाड़ के दोषी नहीं, डीडवाना में दायर एफआईआर निरस्त
-पद्मावत का राज्य में प्रदर्शन करने, फिल्म देखने वालों, बनाने वालों व कलाकारों की हिफाजत करना राज्य सरकार का कर्तव्य
जोधपुर .
राजस्थान हाईकोर्ट ने फिल्म पद्मावत ? के निर्माता-निर्देशक संजय लीला भंसाली, अभिनेत्री दीपिका पादुकोण व अभिनेता रणवीरसिंह की ओर से सीआरपीसी की धारा 482 के तहत दायर विविध आपराधिक याचिका स्वीकार करते हुए उनके खिलाफ डीडवाना में दायर एफआईआर निरस्त करने के आदेश दिए हैं। साथ ही यह कहा है कि फिल्म को सेंसर बोर्ड का प्रमाण पत्र मिल चुका है तथा सुप्रीम कोर्ट ने भी देशभर में फिल्म प्रदर्शित करने के आदेश दिए हैं। इसलिए राजस्थान में भी फिल्म पद्मावत दिखाने वाले सिनेमाघरों, दर्शकों सहित निर्माता, निर्देशक व कलाकारों को सुरक्षा प्रदान करना सरकार की जिम्मेदारी है। याचिका के निस्तारण के लिए फिल्म का विशेष शो देखने के बाद जहां जस्टिस संदीप मेहता ने याचिकाकर्ताओं पर लगाए गए शिकायतकर्ताओं के आरोपों को आधारहीन बताया, वहीं कहा कि फिल्म के आरंभ में ही डिस्क्लेमर दिखाते हुए किसी तरह के विवाद से नहीं जुडऩे का प्रयास किया है। फिल्म में ना तो किसी की धाार्मिक भावनाएं आहत होती है और ना ही कोई एेसा संवाद है जिससे किसी तरह का वैमनस्य उत्पन्न होता हो। जस्टिस मेहता फिल्म में पद्मावत के चरित्र चित्रण को लेकर उसके शौर्य, बहादुरी व जज्बे का जिक्र करते हुए भावुक हो गए।
गौरतलब है कि डीडवाना के शिकायतकर्ताओं वीरेन्द्रसिंह व नागपाल सिंह ने आईपीसी की धाराओं 153 ए व 295 के तहत गत वर्ष फरवरी माह में एफआईआर दर्ज कराते हुए कहा था कि निर्माणाधीन फिल्म पदमावती के माध्यम से आरोपी भंसाली व अन्य लोगों की धार्मिक भावनाओं को भड़काना व दो समुदायों में वैमनस्य फैलाना चाहते हैं। फिल्म में कई भद्दे दृश्य हैं व इतिहास के साथ छेड़छाड करने के प्रयास किए गए हैं। इस पर भंसाली ने सीआरपीसी की धारा 482 के तहत विविध आपराधिक याचिका दायर कर एफआईआर क्वैश करने की गुहार लगाई। हालांकि याचिका की प्राथमिक सुनवाई के समय ही एफआईआर के क्रियान्वयन पर अंतरिम रोक लगा दी गई थी, लेकिन बाद में अंतिम सुनवाई से पूर्व जस्टिस मेहता ने फिल्म का विशेष प्रदर्शन करने के लिए पूछा तो याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता वरिष्ठ अधिवक्ता रवि भंसाली, निशांत बोड़ा के साथ मुंबई से आए राजेश ने सत्यम मल्टीप्लेक्स में विशेष शो का आयोजन करने पर सहमति प्रकट की। इस पर कोर्ट के आदेश से कड़ी पुलिस सुरक्षा में सोमवार रात फिल्म का प्रदर्शन किया गया।
सरकार की ओर से एएजी एसके व्यास, उप राजकीय अधिवक्ता विक्रम सिंह राजपुरोहित व शिकायतकर्ताओं की ओर से तेजमल रांका ने पक्ष रखा।
पद्मावती महारानी थी या कोई देवी
पद्मावत मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस मेहता ने शिकायतकर्ता के वकील से पूछा कि आपने याचिकाकर्ताओं पर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगया है। यह फिल्म पद्मावती पर बनाई गई है, अब आप ही बताइए पद्मावती एेतिहासिक आइडॅल अर्थात महारानी थी या किसी धर्म की देवी। यदि देवी नहीं थी तो उसके चरित्र चित्रण से धार्मिक भावनाएं कहां आहत हुई?
पूर्वानुमान पर आरोप लगाने से अपराध कैसे?
जस्टिस मेहता ने यह भी कहा कि किसी भी घटना का पूर्वानुमान लगा कर किसी पर आरोप लगाने से अपराध कैसे बन सकता है। शिकायतकर्ताओं ने एक साल पहले ही अनुमान लगा लिया कि फिल्म में क्या होगा, जब कि बचाव पक्ष ने भी कहा था कि अभी फिल्म बनी नहीं है, बनने के बाद सेंसर भी होगी, यदि किसी तरह की गलत बात होगी तो हटा दी जाएगी।
Published on:
06 Feb 2018 11:23 pm
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