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महाराजा उम्मेदसिंह मात्र 16 वर्ष की उम्र में बने थे मारवाड़ के शासक

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महाराजा उम्मेदसिंह मात्र 16 वर्ष की उम्र में बने थे मारवाड़ के शासक

महाराजा उम्मेदसिंह मात्र 16 वर्ष की उम्र में बने थे मारवाड़ के शासक

जोधपुर. मारवाड़ के महाराजा उम्मेदसिंह ने अपने शासनकाल में सदैव लोक कल्याणकारी कार्यों को सम्पादित कर अपने व्यक्तित्व को जनता के सामने प्रस्तुत किया। यही कारण है कि उन्हें आधुनिक मारवाड़ के निर्माता के तौर पर जाना जाता है। महाराजा सरदारसिंह के द्वितीय महाराजकुमार तथा महाराजा सुमेरसिंह के छोटे भाई उम्मेदसिंह का जन्म जोधपुर में 8 जुलाई 1903 में हुआ था। उनका जन्म का नाम मूलसिंह था परन्तु 1905 में ज्योतिषियों के कहने से नाम परिवर्तित कर उम्मेदसिंह रख दिया। अक्टूबर 1918 में इन्फ्लूएंजा के कारण महाराजा सुमेरसिंह का देहान्त 21 वर्ष की आयु में हो गया था। महाराजा सुमेर सिंह के कोई पुत्र नहीं था, इसलिए उनके भ्राता उम्मेदसिंह को 14 अक्टूबर 1918 को मारवाड़ के शासक के रूप में आसीन किया गया। उस समय उनकी उम्र 16 वर्ष की थी। अल्पवयस्कता के कारण सर प्रताप सिंह की अध्यक्षता में दिसम्बर 1918 में एक रीजैन्सी कांउन्सिल (राजप्रतिनिधि सभा) की नियुक्ति हुई। मारवाड़ राज्य में शासक के अल्पव्यस्क होने पर रीजैन्सी कांउन्सिल की ओर से शासन चलाया जाता था।