
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी
भारत के स्वतंत्रता संग्राम के समय पूरा देश बापू की एक आवाज पर इकट्ठा हो जाता था। उनका आह्वान जादू जैसा काम करता था। वे लूणी तक आए थे। बापू को जोधपुर तक नहीं आने दिया गया था। लूणी स्टेशन पर जोधपुर के संगीत निर्देशक बृजलाल वर्मा बापू से मिले थे। इतिहास में इसका कहीं उल्लेख नहीं मिलता। राजस्थान पत्रिका के एम आई जाहिर की खोजपूर्ण खबर :
जोधपुर नहीं आ सके थे
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के दर्शन भर से लोग खुद को धन्य महसूस करतेे थे। हम सबके प्रिय बापू पूरे देश में कई जगह गए, लेकिन अफसोस कि वे चाहते हुए भी जोधपुर नहीं आ सके थे। महात्मा गांधी को आजादी से पहले तत्कालीन कांग्रेस और स्वाधीनता सेनानियों ने जोधपुर में बुलाया था। जोधपुर तक नहीं आने दिया गयावे सन १९४३ में ट्रेन से जोधपुर के लिए रवाना भी हुए थे, लेकिन अंग्रेजों के प्रभाव के कारण उन्हें जोधपुर तक नहीं आने दिया गया। अंग्रेजों के दबाव में रियासत की व्यक्तिगत ट्रेन के कारण लूणी तक ही आ सके थे।
एेसे हुआ खुलासा
राजस्थान पत्रिका ने अपने स्तर पर खोजबीन की तो जोधपुर में जन्मे राजस्थान के पहले संगीत निर्देशक स्व बृजलाल वर्मा के पुत्र गोपालकृष्ण वर्मा से बातचीत में यह खुलासा हुआ। वर्मा बापू से मिले थेउन्होंने बताया कि उनके पिता ने बताया था कि जोधपुर के चुनिंदा बेबाक लोगों ने उनका लूणी स्टेशन पर स्वागत करना तय किया। तब बृजलाल वर्मा लूणी स्टेशन पर बापू से मिले थे।
छुआछूत की समस्या बताई थी
गोपालकृष्ण वर्मा ने पत्रिका को बताया कि उनके पिता बृजलाल वर्मा ने अपने साथियों के साथ लूणी स्टेशन पहुंच कर उनका माल्यार्पण कर स्वागत किया था। तब उन्हें बताया था कि समाज के साथ इस हद छुआछूत हो रही है कि सफाई कर्मचारी भी सफाई करने के लिए नहीं आते। बापू ने अस्पृश्यता निवारण करवाने के लिए कहा था। कोलकाता मेें सपत्नीक मिले थेउन्होंने बताया कि इससे पहले बापू कोलाट्रेन में कहीं जा रहे थे, तब पिता बृजलाल वर्मा कोलकाता रेलवे स्टेशन पर गांधी जी से मिले थे।
Published on:
28 Jan 2018 10:40 am
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