उन्होंने कहा कि हमें जीवन में सेवा, सत्कार, सत्कर्म और सहभागिता के संस्कार जोड़ने चाहिए और बच्चों को भी संस्कार देने के लिए निरंतर प्रयत्न करना चाहिए। बच्चों को केवल जन्म और संपत्ति देने वाले माता-पिता जल्दी भुला दिए जाते हैं, पर वे माता-पिता सदा याद किए जाते हैं, जो बच्चों को संपत्ति के साथ संस्कारों की दौलत भी दिया करते हैं। उन्होंने कहा कि बच्चों को कार की बजाए संस्कार दे ताकि परिवार की सरकार अच्छी चल सके। इस अवसर पर डॉ मुनि शांतिप्रिय सागर महाराज ने श्रद्धालुओं को पुण्य का बैलेंस बढ़ाने की प्रेरणा और मार्गदर्शन दिया। इस दौरान ज्ञान वाटिका के बच्चों ने भाव नृत्य और गुरु भक्ति गीत प्रस्तुत किए।