
कभी मारवाड़ की राजधानी रहे मंडोर का प्राचीन किला फाइल फोटो,कभी मारवाड़ की राजधानी रहे मंडोर का प्राचीन किला फाइल फोटो,कभी मारवाड़ की राजधानी रहे मंडोर का प्राचीन किला फाइल फोटो
नंदकिशोर सारस्वत
जोधपुर. जिस मंडोर किले को पाने के लिए जोधपुर नगर के संस्थापक राव जोधा लंबे अर्से तक जंगलों में भटकते रहे उसी किले की सार संभाल और संरक्षण के लिए अब मेहरानगढ़ म्यूजियम ट्रस्ट गोद लेने जा रहा है। लंबे अर्से से देखभाल कर रहे केन्द्र सरकार के आर्कियोलोजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई )ने कुछ अर्से पूर्व किले को गोद देने की प्रक्रिया शुरू की लेकिन कोई एजेन्सी किला लेने को तैयार नहीं थी। आर्कियोलोजिकल सर्वे आफ इंडिया के अधिकारी डॉ. वीएस बडिग़ेर ने पत्रिका को बताया कि मंडोर किले को गोद लेने के लिए मेहरानगढ़ म्यूजियम ट्रस्ट ने एक प्रस्ताव भेजा है जो भारत सरकार के मिनिस्ट्री ऑफ कल्चर में विचाराधीन है। उल्लेखनीय है मारवाड़ की राजधानी मंडोर में कभी रणबंका राठौड़ों के तेजस्वी चरित्र एवं गतिपूर्ण विजयों के इतिहास से अनेक पृष्ट निबद्ध हुए थे।
मंडोर किले के निर्माता का आज तक पता नहीं
मारवाड़ की प्राचीन ख्यातों में भी इस बात का उल्लेख मिलता है कि राव जोधा ने जब जोधपुर बसाने के लिए मेहरानगढ़ की स्थापना की थी तब नागवंशियों की गहरी साख के चलते मेहरानगढ़ का नाम मयूरध्वज गढ़ अथवा मोरधज गढ़ रखा था। मोर और नाग में आपसी दुश्मनी जग जाहिर है। इतिहास में कहीं भी मंडोर किले या इसे बसाने वाले राजा का नाम अभी तक सामने नहीं आया है। खुदाई में भी अब तक ऐसा कोई अवशेष भी नहीं मिला है जिससे किले के निर्माता का नाम उजागर हो सके।
नया टूरिस्ट डेस्टिनेशन बनाएंगे
मंडोर किले को गोद लेने की प्रक्रिया को भारत सरकार के मिनिस्ट्री ऑफ कल्चर से क्लीरियेंस मिल चुका है। कुछ औपचारिकताएं शेष है जो कोविड-19 के कारण रूकी है। मेहरानगढ़ म्यूजियम ट्रस्ट की ओर से मंडोर किले को गोद लेने के बाद उसके संरक्षण और पर्यटकों को जोडऩे की दिशा में कार्य किया जाएगा । देश विदेश के पर्यटकों के लिए विजिटर्स सेन्टर, लाइट एण्ड साउण्ड जैसे कई कार्यक्रम शामिल कर जोधपुर का नया टूरिस्ट डेस्टिनेशन बनाया जाएगा।
-करणीसिंह जसोल, निदेशक मेहरानगढ़ म्यूजियम ट्रस्ट
Published on:
01 Nov 2020 09:04 pm
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