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मौत से हारा पर मौसिकी से जीत गया ‘शिवा’, असाध्य रोग के बावजूद संगीत में बनाया अलहदा मुकाम

महाराष्ट्र के गंधर्व महाविद्यालय से संगीत की कायदेसर तालीम हासिल करने के बाद कुछ साल पहले उसका पहला वीडियो ए मेरे वतन के लोगों सोशियल मीडिया पर वायरल हुआ। जोधपुर के टाउन हॉल में आयोजित एक संगीत समारोह में शिवा की बंदिश पायलिया छनकार की प्रस्तुति पर उस्ताद अजमद अली खां भाव-विभोर हो गए थे।

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music lover and jodhpur talent shiva died at very young age

मौत से हारा पर मौसिकी से जीत गया 'शिवा', असाध्य रोग के बावजूद संगीत में बनाया अलहदा मुकाम

नंदकिशोर सारस्वत/जोधपुर. पुराना प्रेरक वाक्य है कि 'जीवन आयु से नहीं कर्म से बड़ा होता है।' महज बीस साल और आठ महीने की उम्र जीने वाले जोधपुर के सुधांशु व्यास 'शिवा' ने इस कथन को चरितार्थ कर दिखाया है। बचपन से ही मांसपेशियों से जुड़ी असाध्य बीमारी मस्क्यूलर डिस्ट्रॉफ ी जैसे रोग के बावजूद 'शिवा' ने जिंदगी को अपने तरीके से जीने की ललक को मरने नहीं दिया। शिवा ने संगीत का अथक अभ्यास कर संगीत प्रेमियों में अपना ऐसा स्थान बनाया कि बीते रोज दुनिया को अलविदा कहने के बाद जोधपुर के कमोबेश हर संगीत प्रेमी की आंखें नम हैं।

महाराष्ट्र के गंधर्व महाविद्यालय से संगीत की कायदेसर तालीम हासिल करने के बाद कुछ साल पहले उसका पहला वीडियो ए मेरे वतन के लोगों सोशियल मीडिया पर वायरल हुआ। जोधपुर के टाउन हॉल में आयोजित एक संगीत समारोह में शिवा की बंदिश पायलिया छनकार की प्रस्तुति पर उस्ताद अजमद अली खां भाव-विभोर हो गए थे।

आखिर सोमवार को बीमारी ने शिवा कि जिजीविषा को हरा दिया। शिवा के बड़े भाई मनीष को भी 21 साल की उम्र में इसी बीमारी ने छीन लिया था। संगीत के क्षेत्र में योगदान के लिए कई पुरस्कार प्राप्त करने वाले शिवा के निधन पर शहर के संगीत प्रेमियों, रंगकर्मियों, अधिवक्ताओं और पुष्करणा ब्राह्मण समाज के लोगों ने शोक जताया।