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नए साल पर लड़ाकू विमान तेजस और प्रचंड की नई स्क्वाड्रन को लेकर आई ऐसी बड़ी अपडेट

जोधपुर एयरपोर्ट विस्तार को लेकर नगर निगम की ओर से मिली जमीन पर एयरफोर्स नया व आधुनिक रन-वे बनाएगी। इसी के साथ यहां लड़ाकू विमान की भी नई स्क्वाड्रन आने की उम्मीद है। लम्बे समय से यहां केवल सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमान की एकमात्र स्क्वाड्रन तैनात है।

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जोधपुर एयरपोर्ट विस्तार को लेकर नगर निगम की ओर से मिली जमीन पर एयरफोर्स नया व आधुनिक रन-वे बनाएगी। इसी के साथ यहां लड़ाकू विमान की भी नई स्क्वाड्रन आने की उम्मीद है। लम्बे समय से यहां केवल सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमान की एकमात्र स्क्वाड्रन तैनात है। बीते कुछ समय से मिग-21 बाइसन और मिग-27 की स्क्वाड्रन रिटायर हो चुकी है। ऐसे में यहां तेजस स्क्वाड्रन की उम्मीद की जा रही है। भारतीय वायुसेना ने कुल मिलाकर 180 तेजस जेट की खरीद का एचएएल को ऑर्डर दिया है। इसके अलावा स्वदेशी प्रचंड हेलीकॉप्टर की भी एक और स्क्वाड्रन आने की संभावना है। पिछले साल ही प्रचंड की पहली स्क्वाड्रन जोधपुर एयरफोर्स स्टेशन पर ही शामिल की गई थी। प्रचंड के शामिल होने से वायुसेना की क्षमता में काफी इजाफा हुआ है। वर्तमान में प्रचंड के अलावा एडवांस लाइट हेलकॉप्टर रुद्र और एमआई-17 हेलीकॉप्टर तैनात है।

69 एकड़ जमीन मिलेगी, नई स्क्वाड्रन का हैंगर बनेगा
एयरफोर्स स्टेशन का विस्तार बीते छह साल से राज्य सरकार और रक्षा मंत्रालय के मध्य जमीन की कीमत को लेकर अटका हुआ है। नगर निगम 69 एकड़ के बदले अब अंतिम रूप से 93 करोड़ रुपए मांग रहा है, लेकिन रक्षा मंत्रालय इसकी कीमत और कम करने पर जोर दे रहा है। यह जमीन मिलने के बाद वायुसेना यहां नया रन-वे बनाएगी। इसके अलावा लड़ाकू विमान और हेलीकॉप्टर की आने वाली नई स्क्वाड्रन के लिए हैंगर भी तैयार करेगी। फ्रांस से रफाल खरीद की नई डील होती है तो उसकी एक स्क्वाड्रन जोधपुर में तैनात की जाएगी। इसके अलावा भी एयरफोर्स को आधुनिक जरुरत के अनुसार निर्माण कार्य करने हैं।

ब्रह्मोस एनजी मिसाइल आएगी, टैंक भी बदलेंगे
सेना के पास वर्तमान में ब्रह्मोस, पृथ्वी और अग्नि श्रृंखला की उन्नत मिसाइलें हैं। वर्ष 2030 तक सेना के मिसाइल शस्त्रागार में ब्रह्मोस-एनजी, निर्भय सबसोनिक क्रूज मिसाइल और नई हाइपरसोनिक मिसाइल शामिल की जाएगी। अर्जुन टैंक के अलावा आधुनिक अर्जुन मार्क-1 टैंक तैनात होंगे। वर्ष 2030 से टी-72 टैंक सेवानिवृत्त होने लगेगा। सेना 2030 से फ्यूचर रेडी कॉम्बैट व्हीकल को शामिल करना चाह रही है। ये अगली पीढ़ी के मुख्य युद्धक टैंक होंगे।

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नई एयर स्ट्रिप की भी संभावना
तीन साल पहले बाड़मेर-जालोर की सीमा पर राजस्थान में पहली एयरस्ट्रिप बनाई गई थी जहां पर लड़ाकू विमान उतर सकते हैं। यहां लड़ाकू विमान उतारने का लगातार अभ्यास भी किया जाता है। पश्चिमी मोर्चे के महत्व को देखते हुए भविष्य में जैसलमेर और बीकानेर में भी एक-एक और एयर स्ट्रिप बनाए जाने की संभावना है।

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