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पति की मौत… लॉकडाउन में 3 बच्चों को पालने के लिए राजस्थानी महिला ने शुरू किया बिजनेस, देशभर में हो रही चर्चा

Nirmala Shekhawat Success Story: जोधपुर निवासी निर्मला शेखावत की ये कहानी आपको हर हालात में डटकर खड़े रहने के लिए प्रेरित करेगी। वे आज पति के गुजर जाने के बाद तीन बच्चों को अकेली पाल रही हैं साथ ही कई महिलाओं को रोजगार देकर उन्हें भी सशक्त कर रही हैं।

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Inspiring Women from Jodhpur: वो कहते हैं न कि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती, कुछ ऐसी ही कहानी हैं जोधपुर निवासी निर्मला शेखावत की। उनके पति का अचानक स्वर्गवास हो जाने के कारण जिंदगी तहस-नहस हो गई। फिर कोविड की वजह से घर पर ही रहने के कारण तीन बच्चों का पालन-पोषण मुश्किल में पड़ गया। ऐसे में उनके पास बस एक ही विकल्प था- खुद कुछ ऐसा करो कि बच्चों का पालन-पोषण हो सके।

निर्मला ने शुरू की नई पारी

इन सभी समस्याओं से जूझ रही निर्मला हार मानने वालों में से नहीं थी। उन्हें उनकी मां, भाई और भाभी ने खूब सपोर्ट किया। उनके पास कोई प्रोफेशनल डिग्री या डिप्लोमा नहीं था। उन्होंने चुनौतियों का सामना किया और नई पारी की शुरुआत की। महज 12वीं कक्षा तक पढ़ी निर्मला आज राजस्थान की पारंपरिक स्नैक्स बेचकर खुद की जरूरतों को पूरा कर रही हैं और साथ ही कई महिलाओं को रोजगार देकर सशक्त भी कर रही है।

150 रुपए का था पहला ऑर्डर

निर्मला ने 'मारवाड़ी मनवार' नाम से अपना बिजनेस शुरू किया। उस वक्त उनका पहला ऑर्डर 150 रुपए का आया जो उनके लिए आशा की पहली किरण की तरह था। फिर क्या था… दिर-प्रतिदिन निर्मला खूब मेहनत करती गई और आज उनके इस काम की सराहना देशभर में हो रही है।

30 महिलाओं को सशक्त कर रही निर्मला

निर्मला की 'मारवाड़ी मनवार' के तहत 30 महिलाएं काम कर रही हैं। अपनी टीन की महिलाओं के साथ मिलकर वे अचार, पापड़ और अन्य राजस्थानी व्यंजनों का स्वाद दूर-दूर तक पहुंचा रही हैं। निर्मला बताती हैं कि उनकी मां, भाई और भाभी ने इस काम में उनका बहुत सर्पोट किया जिस वजह से वे ये मुकाम हासिल कर पाईं। बता दें कि निर्मला शेखावत के पति की मौत ब्रेन हेमरेज से हुई जिसके बाद से निर्मला अपने 3 बच्चों का भरण-पोषण खुद कर रही हैं।

हाथों से बनाती हैं सारे पकवान, मां से सीखा गुर

निर्मला का कहना है कि उनकी मां ने ही उन्हें आत्मबल दिया। दरअसल, उनकी मां को खाना बनाना बहुत अच्छा लगता है। वे आए दिन तरह-तरह के पकवान बनाती और खिलाती थी। निर्मला ने सोचा क्यों न मैं भी ऐसा ही कुछ अलग करूं।

फिर क्या था… निर्मला ने इसी आइडिया को अपनाया। आज वे 30 महिलाओं के साथ घर पर ही पापड़ और राजस्थानी व्यंजन बनाकर बेचती हैं। उनका बिजनेस अब खूब अच्छा चल रहा है। वे कहती हैं कि मेरा उद्देश्य महिलाओं को सशक्त करना है। उन्हें रोजगार देकर आर्थिक रूप से मजबूत करना ही। मेरा मानना है कि महिलाएं जब पैसे कमाती है तो उनकी समाज में भी एक मजबूती छवि बनती है।

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