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जोधपुर के माचिया बायलॉजिकल पार्क में सिर्फ इस वजह से आप नहीं देख पाएंगे सफेद टाइगर..

अपनी ठीक से बात नहीं रख पाए जोधपुर के अधिकारी, जनप्रतिनिधियों ने भी नहीं ली रुचि  

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white and royal Bengal tiger

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माचिया जैविक उद्यान में व्हाइट रॉयल बंगाल टाइगर लाने की योजना पर पानी फिर गया है। इसके पीछे मुख्य कारण यह माना जा रहा है जोधपुर की ओर से सफेद टाइगर के लिए न तो वन अधिकारियों की ओर से सही ढंग से पैरवी नहीं की गई और न ही जनप्रतिनिधियों ने रुचि नहीं ली।

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जंतुआलय ने एनिमल एक्सचेंज योजना के तहत करीब एक साल पहले ही सफेद टाइगर देने पर सैद्धांतिक सहमति जता दी थी, लेकिन केन्द्रीय चिडिय़ाघर प्राधिकरण के अधिकारियों ने मात्र सफेद टाइगर होने के कारण इसे हरी झंडी नहीं दी। अब अच्छी खबर है यह कि सफेद की जगह कानपुर जंतुआलय ने दो रॉयल बंगाल टाइगर के साथ दो सेही के जोड़े देने पर सहमति जता दी है। कानपुर जूलोजिकल पार्क ने वन्यजीव आदान-प्रदान योजना के तहत उप वन संरक्षक (वन्यजीव) जोधपुर को रॉयल बंगाल टाइगर देने पर लिखित में सहमति प्रदान कर दी है। दो टाइगर के बदले जोधपुर वन विभाग को एक भेडि़ए का जोड़ा और दो नर, चार मादा सहित कुल छह चिंकारे देने होंगे।

सीजेडए अधिकारियों की मनमानी

छत्तीसगढ़ जंतुआलय प्रशासन ने सफेद शेर देने की सहमति जताने के बाद भी केन्द्रीय चिडिय़ाघर प्राधिकरण ने मंजूरी नहीं दी। वन्यजीव विशेषज्ञों का मानना है कि इसके लिए जोधपुर की ओर से सफेद टाइगर लाने के मामले में वन अधिकारियों की ओर से सही ढंग से पैरवी नहीं की गई। जोधपुर का प्रतिनिधित्व करने वाले जनप्रतिनिधि भी इस मामले में कोई रुचि नहीं ली है।

नहीं आती कोई परेशानी

तकनीकी रूप से व्हाइट और यलो टाइगर में विशेष अंतर भी नहीं है। अन्यथा कोई कारण नहीं कि एक साल पहले छत्तीसगढ़ से सफेद टाइगर की सहमति मिलने के बाद भी जोधपुर संभाग सहित यहां आने वाले देशी-विदेशी पर्यटक व्हाइट रॉयल बंगाल टाइगर की अठखेलियां देखने से वंचित है। जोधपुर को व्हाइट टाइगर मिलते तो पर्यटन के क्षेत्र में भी जोधपुर की पहचान बढ़ती।

जोधपुर व्हाइट टाइगर के लिए उपयुक्त


माचिया जैविक उद्यान में करोड़ों की लागत से तैयार किए गए एन्क्लोजर्स रॉयल बंगाल टाइगर के लिए उपयुक्त होने के बावजूद सीजेडए की ओर से सफेद टाइगर के लिए मना करना समझ से परे है। राजस्थान में जयपुर और उदयपुर के जैविक उद्यान में सफेद शेर मौजूद है। वहां और जोधपुर की भौगोलिक स्थिति व जलवायु में खास अंतर भी नहीं है।

सीजेडए से अनुमति मिलते ही आ जाएंगे टाइगर


कानपुर जुलोजिकल पार्क ने रॉयल बंगाल टाइगर का एक जोड़ा और 2 जोड़े प्रोरक्यूपाइन (सेही ) देने पर लिखित में सहमति दे दी है। मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जयपुर को सूचना भेज दी है। केन्द्रीय चिडिय़ाघर प्राधिकरण नई दिल्ली से वन्यजीव आदान-प्रदान की अनुमति मिलते ही ये वन्यजीव जोधपुर लाए जाएंगे। -भगवानसिंह राठौड़, उप वन संरक्षक (वन्यजीव ) जोधपुर