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देश में स्वर्णप्राशन दवा का अब एक ही प्रोटोकॉल

- एक दिन के बच्चे से लेकर 16 साल के बच्चे को अधिकतम 12 महीने तक दे सकेंगे स्वर्ण प्राशन- स्वर्ण भस्म, गाय के घी व शहद से तैयार होगी स्वर्णप्राशन दवा

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देश में स्वर्णप्राशन दवा का अब एक ही प्रोटोकॉल

देश में स्वर्णप्राशन दवा का अब एक ही प्रोटोकॉल

जोधपुर. बच्चों को दी जाने वाली स्वर्णप्राशन दवा की देश में एकरूपता लाने के लिए डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय की ओर से इस दवा का प्रोटोकॉल तैयार किया है। दो दिनों तक देश के विभिन्न राज्यों के आयुर्वेद संस्थानों और आयुर्वेदाचार्य के साथ चले मंथन के बाद स्वर्णप्राशन दवा की नई गाइडलाइन तैयार हो गई है जो अब केंद्रीय आयुष मंत्रालय को भेजी जाएगी। वहां से जारी होने के बाद देशभर में स्वर्णप्राशन का एक ही प्रोटोकॉल लागू होगा।

आयुर्वेद विश्वविद्यालय की ओर से वर्ष 2016 से जोधपुर में हर महीने के पुष्य नक्षत्र को शहर के 5 स्थानों पर नि:शुल्क स्वर्णप्राशन दवा पिलाई जाती है। कोरोना के कारण मार्च 2020 से इसे फिलहाल बंद कर दिया गया है, लेकिन देश के अलग-अलग हिस्सों में दवा देने का समय, दवा बनाने का तरीका, घी व शहद की मात्रा, स्वर्णप्राशन की गुणवत्ता और बच्चों को दी जाने वाली मात्रा अलग-अलग थी इसलिए एक नया समरूप प्रोटोकॉल बनाया गया है।

सोने के 28 से 35 नैनोमीटर के कण होंगे
विवि के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ प्रेमप्रकाश व्यास ने बताया कि स्वर्णप्राशन दवा में 90 प्रतिशत शुद्ध सोने के 28 से 35 नैनोमीटर आकार के कण होंगे। मनुष्य की आतें 58 नैनोमीटर से छोटे कणों को ही अवशोषित कर सकती है और रक्त के जरिए ये कण लक्षित अंग तक पहुंच सकते हैं। नैनो आकार के कण होने से रक्त कोशिकाओं के इकठ्ठा होने, प्रोटीन अवशोषण व साइटोटोक्सिसिटी का खतरा नहीं रहेगा। छोटे कण अंतरकोशिकीय जंक्शन को आसानी से ढीला कर सकेंगे।

गाय का घी और प्राकृतिक शहद लेना होगा
स्वर्णप्राशन दवा में स्वर्णभस्म के अलावा गाय का घी और प्राकृतिक शहद लेना होगा। घी व शहद का अनुपात 2:1 होना चाहिए। गाय के घी का पीएच 4.31 व शहद का 4.16 के आसपास होना चाहिए। घी व शहद का संयुक्त पीएच 4.40 व विशेष गुरुत्व 1.24 होना चाहिए।

यह रहेंगे नियम
- आदर्श सिंगल डोज में 0.10 मिलीग्राम स्वर्ण भस्म, 500 मिलीग्राम घी और 1 मिलीमीटर शहद होगा।
- दवा मुख्य से ड्रॉप फॉर्म में दी जाएगी। मानक तापमान 37 डिग्री है।
- स्वर्णप्राशन दवा एक दिन के शिशु से लेकर 16 वर्ष तक के बच्चे को दी जा सकेगी।
- वर्तमान में तीन अवधि रहेगी। एक महीने तक लगातार, 6 महीने तक लगातार और एक साल तक लगातार, लेकिन सभी को पुष्य नक्षत्र पर बूस्टर डोज लेनी होगी।
- एक साल से अधिक स्वर्णप्राशन दवा के लिए आगे रिसर्च किया जाएगा।

स्वर्णप्राशन की विभिन्न डोज के फायदे
एक महीने तक की दवा याददाश्त बढ़ाने, 6 महीने की स्मृति, अनुभूति, धारण शक्ति बढ़ाने और 12 महीने की स्वर्णप्राशन सामान्य रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने, बच्चे का बेहतर शारीरिक व मानसिक विकास (लंबाई के अनुसार वजन व स्मृति), एलर्जी व संक्रमण रोकनाथ में कारगर है।
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‘स्वर्णप्राशन के विषय में एकरुपता लाने से इसका प्रमाणीकरण व मानकीकरण होगा। साथ ही अग्रिम अनुसंधान शुरू हो सकेगा।’
प्रो अभिमन्यु कुमार, कुलपति, डॉ एसआरएस राजस्थान आयुर्वेद विवि जोधपुर