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प्याज ने किया कमाल, आया दस गुना उछाल

दस माह पूर्व था तीन रुपए किलो, केंद्र ने राज्य सरकार को दिए थे स्टाकिस्ट पर कार्रवाई के निर्देश

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जोधपुर

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Chen Raj

Jan 15, 2018

Onions rate increses

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जब तक प्याज किसानों की जेब में था तो इसके भाव तीन रुपए किलो ही रहे। हैरान किसान ने माल व्यापारियों को बेच दिया, अब एकाएक दस माह में प्याज के रिटेल भावों में पंद्रह गुना से अधिक का उछाल आया है। वर्तमान में रिटेल में प्याज 45 से 50 रुपए किलो बाजार में बिक रहा है। दीपावली पर केंद्र सरकार ने प्याज की कीमतें बढऩे की आशंका जताई थी और राज्य सरकार को प्याज के स्टॉकिस्ट पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे, लेकिन सरकार नहीं चेती और प्याज के भाव एकदम उछल गए। प्याज आम आदमी की पहुंच से दूर होता जा रहा है। व्यापारियों पर प्याज की स्टॉक सीमा लागू करने को कहा था

केंद्र सरकार ने संदेह जताया था कि अगले महीने प्याज के दाम बढ़ सकते हैं। इसके लिए केंद्र ने सभी राज्य सरकारों को निर्देश दिए थे कि प्याज के कारोबारियों और सौदागरों पर नियंत्रणकारी कदम उठाए जाएं, ताकि वाजिब दाम पर पर्याप्त उपलब्धता हो सके। खाद्य मंत्रालय ने इस निर्णय को अधिसूचित किया था, लेकिन राज्य सरकार ने ध्यान नहीं दिया। किसानों ने आर्थिक मार के चलते सारी फसल कम भाव में व्यापारियों को बेच दी। अब माल व्यापारियों के पास आते ही भाव पंद्रह गुना से अधिक चढ़ गए।

रिटेल व होलसेल में 15 रुपए का अंतर

प्याज की रिटेल व होलसेल रेट में पंद्रह रुपए प्रति किलो का अंतर है। मोटा प्याज बाजार में होलसेल में 35 रुपए किलो है, जबकि रिटेल में 50 रुपए है। यह फर्क आढ़त, टैक्स और ट्रांसपोर्ट सहित अन्य खर्च के चलते बढ़ रहा है। अकेले जोधपुर में रोजाना 150 टन प्याज की खपत है। वर्तमान में प्याज गुजरात, महाराष्ट्र व मध्यप्रदेश से आ रहा है। राज्य में फिलहाल प्याज नहीं है।

फसल खराब होने से बढ़े दाम

दक्षिण भारत में प्याज की फसल खराब हो गई थी, इस कारण भाव बढे़। सीकर और जोधपुर सहित स्थानीय प्याज की आवक होगी तो भाव कम होने की संभावना है।
- जब्बरसिंह, सचिव, फल-सब्जी मंडी समिति, पावटा, जोधपुर

किसानों को नहीं मिलते भाव

किसानों को फसल का उचित दाम नहीं मिलता। प्याज इसका ताजा उदाहरण है। किसानों के पास प्याज था तो सड़कों पर तीन रुपए किलो बिक रहा था। अब व्यापारियों के पास आते ही भाव उछल गए। सरकार को किसानों के लिए नीति बनानी चाहिए।

- तुलछाराम सिंवर, भारतीय किसान संघ, जोधपुर