
प्रदेश का 'माप-तौल' खतरे में, कार्यवाही नहीं के बराबर
प्रदेश के एक भी सिनेमा हॉल व मल्टीप्लेक्स में महंगी खाद्य वस्तुओं पर कार्यवाही नहीं
जोधपुर . डेढ़ साल पहले उद्योग मंत्रालय से हटाकर खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामलात मंत्रालय के अंतर्गत आए बाट एवं माप तौल विभाग यानी विधिक विज्ञान विभाग में अब भी केवल 9 इंस्पेक्टर कार्यरत हैं, जो प्रदेश के 33 जिलों का काम संभाल रहे हैं। पूरे प्रदेश में पिछले डेढ़ साल से माप-तौल की कोई खास कार्यवाही नहीं हो पाई है। विभाग को जिला रसद अधिकारी एवं रसद विभाग के इंस्पेक्टरों से भी मदद मिलनी थी, लेकिन अधिकांश स्थानों पर रसद विभाग विधिक विज्ञान विभाग की कोई मदद नहीं कर रहा है। ताज्जुब की बात यह है कि अन्य विभागों से 12 इंस्पेक्टर रांची स्थित भारतीय विधिक माप विज्ञान संस्थान से प्रशिक्षण लेकर इसी साल जनवरी में आ चुके हैं, लेकिन सरकार उनको नियुक्त देने की बजाय बैठे-बैठे तनख्वाह दे रही हैं।
5 साल पहले बना था नया एक्ट
सरकार ने उपभोक्ता हितों की रक्षा के लिए 1958 में बाट एवं माप तौल विभाग गठित किया था। वर्ष 2009 में केंद्र सरकार ने विधिक माप विज्ञान अधिनियम बनाया गया, जिसमें विधिक माप विज्ञान संबंधी कार्यों का संचालन उपभोक्ताा मामलात विभाग को देने की बात कही गई। अप्रेल 2011 में यह एक्ट लागू हो गया। राजस्थान में यह विभाग उद्योग विभाग के अधीन था। एक अक्टूबर 2016 को राज्य सरकार ने बाट एवं माप तौल विभाग यानी विधिक विज्ञान विभाग को उद्योग मंत्रालय से हटाकर उपभोक्ता मामलात मंत्रालय (खाद्य एवं रसद विभाग) को सौंप दिया। उस समय विधिक विज्ञान विभाग के पास खुद के इंस्पेक्टर नहीं होने से उद्योग विभाग ने 15 अपने इंस्पेक्टर अस्थाई तौर पर भेजे, जिन्हें वेतन उद्योग विभाग ही दे रहा है। दिसम्बर 2017 में उद्योग विभाग ने अपने इंस्पेक्टरों को वापस बुला लिया है, लेकिन विधिक विज्ञान विभाग इनको रिलीव नहीं कर रहा है। उधर, अन्य विभागों से प्रतिनियुक्ति पर आए 12 इंस्पेक्टर जनवरी 2018 में रांची से चार महीने का प्रशिक्षण लेकर आ चुके हैं। 30 अप्रेल को 12 अन्य इंस्पेक्टर प्रशिक्षण लेकर आएंगे, लेकिन विधिक विभाग ने इन इंस्पेक्टरों को कोई नियुक्ति नहीं दी है। केवल नौ इंस्पेक्टरों से ही काम चल रहा है।
जोधपुर में केवल एक इंस्पेक्टर
जोधपुर में विधिक विज्ञान विभाग कार्यालय में केवल एक इंस्पेक्टर कौशल किशोर गुप्ता लगे हुए हैं। गुप्ता के सहयोग के लिए न कोई बाबू है और न ही कोई अन्य कार्मिक। ऐसे में सारा कार्य वे अकेले ही देखते हैं। काम के दबाव के कारण गुप्ता ने पिछले छह महीने से वस्तुओं की एमआरपी या वजन को लेकर एक भी कार्यवाही नहीं की है।
एक भी सिनेमा हॉल से शिकायत नहीं
विधानसभा में विधायक हीरालाल नागर ने उपभोक्ता मामलात विभाग से प्रदेश के सिनेमाघरों में महंगी खाद्य वस्तुओं की शिकायत व कार्यवाही को लेकर सवाल पूछा था। जवाब में विभाग ने कहा कि पूरे प्रदेश में एमआरपी से अधिक पैसा वसूलने की शिकायत केवल जोधपुर में मिली। वह भी आधारहीन निकली। सूत्रों के मुताबिक खुद विधिक विज्ञान विभाग के अधिकारियों ने भी सिनेमाघरों व सिनेकॉम्पलेक्स में महंगी मिल रही खाद्य वस्तुओं पर कोई कार्यवाही नहीं की।
प्रदेश के नियंत्रक को मतलब ही नहीं
इस बारे में ज्यादा कुछ नहीं कह सकता। आप शासन सचिव से बात कर लो। वैसे हमारे पास कार्मिकों की कमी है इसलिए उद्योग विभाग के 15 इंस्पेक्टरों को नहीं छोड़ा। नए इंस्पेक्टरों का रांची से अभी तक रिजल्ट नहीं आया है इसलिए उन्हें नियुक्ति नहीं दी है।
पी. रमेश, नियंत्रक, विधिक विज्ञान विभाग, राजस्थान
Published on:
13 Apr 2018 01:47 pm
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