
Pandit Vazh overwhelmed with classical singing
जोधपुर. फतेहसागर की लहरों से छन कर आती शीतल बयार के बीच रामानुज कोट ( Fatehsagar Ramanuj Kot ) के मुक्ताकाशीय मंच पर दो दिवसीय शरद महोत्सव ( sharad mahotsav ) के पहले दिन मुंबई के प्रख्यात शास्त्रीय गायक ( Classical singer ) पंडित चन्द्रशेखर वझे ( Pandit Chandrasekhar Vaze ) ने राग पूरिया में आज मोरे घर आयो सगुण साक्षात परब्रह्म की कर्णप्रिय प्रस्तुति के लिए आलाप लिया तो शरद पूर्णिमा की पूर्व संध्या ( Classical evening ) पर चौदहवीं का चन्द्रमा भी बादलों की ओट से प्रकट हो गया, जो कार्यक्रम के अंत तक शीतल चांदनी बिखेरता रहा। पहली प्रस्तुति से ही अपनी गायकी से पूर्ण परिचय कराते हुए दूसरी प्रस्तुति कण -कण बोले जय सिया राम से सुधि श्रोताओं को अभिभूत कर दिया। शरद ऋतु की राग केदार में पंडित वझे ने 'कान्हा रे नन्दनन्दन, परम निरंजन' के माध्यम से बाल गोपाल का लाड लडाया।
दरस बिना दुखन लागे नैणा मीरा के इस पद को ऊंचाइयां बख्शने के बाद उन्होंने विद्या की देवी सरस्वती की वन्दना में संत ब्रह्मानंद रचित 'जय जगदीश्वरी मात सरस्वती' प्रस्तुत कर अगली प्रस्तुतियों के लिए आशीर्वाद मांगा। पुरन्दर दास ने कन्नड़ में माँ लक्ष्मी के आवाहन में रचित नम्मामी तू भाग्यदा लक्ष्मी बारम्बार प्रस्तुत कर रंग जमाया। कबीर का सतगुरु हो महाराज मो पे साईं रंग डारा तथा आगे की प्रस्तुतियां पूरे शबाब पर पहुंच चुक चाँदनी में ही प्रस्तुत कर स्वर माधुर्य बिखेरा। हारमोनियम पर डॉ. अनूपराज पुरोहित व तबले पर कपिल वैष्णव ने संगत की।
तानपुरे पर भावना वैष्णव तथा राधिका राठी ने साथ दिया। हरि मेरो जीवन प्राणाधार, राग जोगिया में पिया मिलन की आस, गोपाला करुणा क्यों नहीं आवे, की प्रस्तुतियों से समां बांध कर संत तुकाराम के अभंग अच्युता अनंता पांडूरंगा पेश किया। संत नामदेव के गुरु ग्रंथ साहब में दर्ज भजन राम रमेरमी राम संभारे के बाद रंग दे चुनरिया रंग दे से कार्यक्रम का समापन किया।
Published on:
13 Oct 2019 04:09 pm
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