अकालग्रस्त जनता को मजदूरी के लिए बनाया था महल
एेसा उल्लेख मिलता है कि महाराजा उम्मेदसिंह ने अकाल से त्रस्त जनता को रोजगार देने के मकसद से उम्मेद भवन पैलेस बनवाया था। जब तत्कालीन मारवाड़ रियासत की जनता भूख से मर रही थी तो महाराजा उम्मेदसिंह ने यह महल की तामीर करने का फैसला किया। इस भवन के निर्माण का आर.बी. शिवरतन मोहता को ठेका दिया गया था। पैलेस के वास्तुकार लंदन के मैसर्स लैकेंस्टर एण्ड लॉज इसके वास्तुकार थे। उनके प्रतिनिधि वास्तुविद व शिल्पविद जी.ए.गोल्ड स्ट्रा ने वास्तु में भूमिका निभाई। इसके लिए पत्थर लगाने, लाने, चुनाई और टांचने (तराशने) आदि तक के सारे काम मारवाड़ के मजदूरों और कारीगरों से ही करवाए गए, ताकि उन्हें रोजगार मिले।
खास बात यह है कि महल के मुख्य प्रवेश कक्ष के स्तम्भ इटली से आयातित काले पत्थर से बने हुए हैंं और बाकी भवन की दीवारों व फर्श पर आगरा के ताजमहल की तरह मकराना के सफेद पत्थर का इस्तेमाल किया गया। यहां ब्लैक एंड व्हाइट का यह कंट्रास खूबसूरत लगता है। इसके आर्ट म्यूजियम को खूबसूरत बनाने के लिए चीन और बैल्जियम के कांच, चांदी व चीनी मिट्टी की नायाब और बेमिसाल कलाकृतियों-वस्तुओं का कलक्शन किया गया। साथ ही आकर्षक चित्रकला के बेजोड़़ नमूने बनवाए गए, जिलमें राजा रानी, राजस्थान के लोक नायक नायिका ढोला मारू व देव अवतार मुख्य हैं।
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दरबार हॉल और स्विमिंग पूल की खासियत
पोलैण्ड के मशहूर चित्रकार एस. नोरवलिन को उम्मेद भवन पैलेस के दरबार हॉल और स्विमिंग पूल में पेन्टिंग बनाने में दो साल का समय लगा। दरबारे खास में एस. साख्ेालिन चित्रित रामायण प्रसंग के 6 भव्य चित्र का प्रदर्शन देसी-विदेशी सैलानियों को बहुत लुभाता है। नृत्य शाला की स्थापत्य कला, छतों पर घूमर, मेहराबोंं पर बारीक नक्काशी और सुनहरी कलम का कलक्शन किया गया है। इसके लकड़ी के फ र्श दिल को लुभाते हैं और पर्यटक इसे सुखद आश्चर्य से देखते रह जाते हैं। ( आगे पढ़ें पार्ट 2)