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मनोवैज्ञानिक सदमे से उबार कर बचाई गर्भवती चिंकारा की जान

  अनाथ चिंकारे के बच्चे को मिला मां का प्यार, गंभीर घायल जरख की हालत में तेजी से सुधार

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मनोवैज्ञानिक सदमे से उबार कर बचाई गर्भवती चिंकारा की जान

मनोवैज्ञानिक सदमे से उबार कर बचाई गर्भवती चिंकारा की जान

NAND KISHORE SARASWAT

जोधपुर. वनविभाग वन्यजीव मंडल जोधपुर की ओर से माचिया जैविक उद्यान के अधीन संचालित रेस्क्यू सेंटर में पिछले तीनों दिनों में पहुंचे अलग-अलग प्रजातियों के वन्यजीवों को नया जीवनदान मिला है। सोमवार शाम जोधपुर जिले के बालेसर क्षेत्र से ग्रामीण कैलाशदान गर्भवती चिंकारा को लेकर रेस्क्यू सेंटर पहुंचे जहां वन्यजीव चिकित्सक डॉ. ज्ञान प्रकाश व रेस्क्यू टीम के सदस्य महेन्द्र गहलोत, रमसीलाल मीणा, खिंयाराम व आदूराम की मदद से चिकित्सकीय परीक्षण के दौरान ज्ञात हुआ कि गर्भवती मादा चिंकारा के बच्चेदानी में फंसा बच्चा मृत हो चुका था। वन्यजीव चिकित्सक डॉ. ज्ञान प्रकाश ने तत्काल ऑपरेशन (सीजेरियन) कर मृत बच्चे को बाहर निकाला और मादा चिंकारा की जान बचाई गई। मादा चिंकारा को मनोवैज्ञानिक सदमे से उबारने के लिए रेस्क्यू सेंटर में पूर्व में प्राप्त मां लावारिस चिंकारा के बच्चे को मादा चिंकारा के साथ रखा गया। इससे लावारिस चिंकारा के बच्चे को भी मां का प्यार मिलने लगा है।
देसूरी से गंभीर घायल हायना की स्थिति में सुधार

पाली जिले के देसूरी क्षेत्र से शुक्रवार को एक मादा जरख (हायना) को रेस्क्यू सेंटर लाया गया । हायना की किसी अन्य हिंसक जानवर के साथ झड़प के दौरान चेहरे पर गंभीर चोटें पाई गई, जिसके चलते वह खाना पीना नही करने के कारण पूर्णत: निढाल हो चुकी थी। रेस्क्यू टीम की ओर से चिकित्सकीय उपचार के बाद हायना को दवाइयों के साथ हल्दी मिला मांसाहार देने से उसके स्वास्थ्य में तेजी से सुधार हो रहा है।

भूखे-प्यासे उल्लू को उसकी मां की तरह दिया जा रहा भोजन
घोंसले से गिरे एक बार्न उल्लू के बच्चे को रेस्क्यू किया गया जो भूख और प्यास से निढाल हो चुका था। निर्जलीकरण के शिकार वन्यजीव को चिकित्सकीय उपचार के साथ-साथ हाथो से उसकी मां की तरह मांस खिलाकर इलाज किया जा रहा है। जिसके चलते उसकी स्वास्थ्य में तेजी से सुधार हो रहा है। वन्यजीव चिकित्सक डॉ. ज्ञान प्रकाश ने बताया कि स्वस्थ होने पर वन्यजीवों को पुन: वन्यजीवों को उनके प्राकृतिक आवास में पुर्नवास किया जाएगा।