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Jodhpur City Assembly constituency: अभी कांग्रेस के कब्जे में है जोधपुर शहर विधानसभा सीट, भाजपा चाहती है वापसी

राजस्थान में जल्द ही विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में राजनीतिक पार्टियों के प्रचार ने अपनी रफ्तार पकड़ ली है।

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जोधपुर। राजस्थान में जल्द ही विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में राजनीतिक पार्टियों के प्रचार ने अपनी रफ्तार पकड़ ली है। प्रदेश में एक बार फिर से आरोप-प्रत्यारोपों का दौर शुरु हो चुका है। कांग्रेस यहां सरकार रिपीट करने की तैयारी में जुटी है, तो वहीं भाजपा फिर से सत्ता पर कब्जा जमाना चाहती है। आज हम जोधपुर शहर विधानसभा सीट की बात करेंगे। शहर विधानसभा सीट परंपरागत जनरल की रही है, लेकिन 2018 के कांग्रेस ने ओबीसी उम्मीदवार को मैदान में उतारा और जीत भी हासिल की। इस विधानसभा सीट पर अब तक 16 बार चुनाव हो चुके हैं। भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों को 6-6 बार जीत मिली है।

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1951 में हुआ था पहला चुनाव
जोधपुर शहर विधानसभा सीट को 1951 में जोधपुर सिटी बी के नाम से जाना जाता था। पहले ही चुनाव में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा। निर्दलीय उम्मीदवार हनवंत सिंह ने कांग्रेसी उम्मीदवार जय नारायण को 8626 वोटों से हराया था। हालांकि हनवंस सिंह के निधन के बाद इस सीट पर 1952 में उपचुनाव हुआ। इसमें COM पार्टी के एचके व्यास को 3259 तो वहीं निर्दलीय उम्मीदवार खेत सिंह को 2673 वोट मिले। 1957 में इस सीट पर कांग्रेस का खाता खुला और उम्मीदवार बरकतुल्ला खान ने CPI उम्मीदवार हरी किशन को 4687 वोटों से हराया। 1962 के चुनाव में एक बार फिर से खान को जीत मिली। उनके सामने BJS पार्टी के गुमान मल खड़े थे। 1967 में बरकतुल्ला खान ने जीत की हैट्रिक लगाते हुए BJS उम्मीदवार को हराया। खान को 17971 तो वहीं गुमानमल लोढ़ा को 17531 वोट मिले। हालांकि दो हार के बाद गुमालमल लोढ़ा ने 1972 में जीत का स्वाद चखा। उन्होंने कांग्रेसी उम्मीदवार लियाउन्लाह खान को 2830 वोटों से हराया। इसी तरफ 1985 में भाजपा के ब्रिदमल, 1980 में INC(I) के अहमद बख्श सिंह और 1977 में JNP के ब्रिदमल सिंघवी इस सीट से विजयी हुई।

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1980 में हुई सूर्यकांता व्यास की एंट्री
साल 1980 में इस सीट पर फिर से भाजपा की जीत हुई। इस चुनाव में भाजपा उम्मीदवार सूर्यकांता व्यास को 39543 तो वहीं कांग्रेस उम्मीदवार अहमद बख्श को 23760 वोट मिले। 1993 में भाजपा की सूर्यकांता व्यास ने फिर से इस सीट पर कब्जा जमाया। उन्होंने कांग्रेसी उम्मीदवार सईद अंसारी को 5604 वोटों से हराया। 1998 में व्यास जीत की हैट्रिक लगाने से चूक गईं। उनके विजयी रथ को कांग्रेसी उम्मीदवार जुगल काबरा ने थाम दिया। इस चुनाव में काबरा को 33991 तो वहीं व्यास को 23073 वोट मिले। हालांकि 2003 में व्यास से फिर से वापसी करते हुए काबरा को हरा दिया।

2008 में जीते थे भाजपा के भंसाली
इसके बाद हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा के कैलाश चंद भंसाली को जीत मिले। भंसाली को 49122 तो वहीं कांग्रेसी उम्मीदवार जुगल काबरा को 40523 वोट मिले। 2013 में फिर से ये सीट भाजपा के पास गई और कैलाश भंसाली जीते। भंसाली को 60928 तो वहीं कांग्रेस से सुपारस भंडारी को 46418 वोट मिले। वहीं पिछले चुनाव में ये सीट कांग्रेस के खाते में गई। यहां से चुनाव लड़ रहीं कांग्रेसी उम्मीदवार मनीषा पंवार ने भाजपा उम्मीदवार अतुल भंसाली को हरा दिया।