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जेल से रिहाई के बाद मुंह छिपा कर क्यों गई आसाराम मामले में सह अभियुक्त शिल्पी?

locationजोधपुरPublished: Sep 30, 2018 11:25:15 am

Submitted by:

santosh

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Shilpi Bail

जेल से रिहाई के बाद मुंह छिपा कर क्यों गई आसाराम मामले में सह अभियुक्त शिल्पी?

जोधपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने आसाराम मामले में सह अभियुक्त व केन्द्रीय कारागृह में 20 वर्ष की सजा भुगत रही संचिता उर्फ शिल्पी को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है। जस्टिस विजय विश्नोई ने निर्णय सुनाया। उन्होंने दो दिन पहले सुनवाई पूरी कर ली थी। आसाराम मामले में सह अभियुक्त व केन्द्रीय कारागृह में 20 वर्ष की सजा भुगत रही संचिता उर्फ शिल्पी की ओर से उसकी सजा के स्थगन व जमानत आवेदन पर हाईकोर्ट ने दो दिन पहले फैसला सुरक्षित रखा था।
अपने ही गुरुकुल की नाबालिग से यौन दुराचार के आरोप में जोधपुर जेल में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे आसाराम मामले में सह अभियुक्त व केंद्रीय कारागृह में 20 वर्ष की सजा भुगत रही संचिता उर्फ शिल्पी की ओर से उसकी सजा के स्थगन व जमानत आवेदन पर रिहा करने के मामले में उच्च न्यायालय ने यह फैसला सुनाया। इस बाबत दायर याचिका की बुधवार को पूरी होने के बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रखा था। जस्टिस विजय विश्नोई की पीठ में पीडि़ता की ओर से अधिवक्ता पीसी सोलंकी ने गत मंगलवार को अपनी बहस पूरी कर ली थी।
बुधवार को अभियोजन पक्ष की ओर से एएजी एसके व्यास ने बहस शुरू की थी। इससे मामले में याचिकाकर्ता शिल्पी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता महेश बोड़ा व निशांत बोड़ा ने बहस की। न्यायाधीश जस्टिस विजय विश्नोई की अदालत में बुधवार को हुई सुनवाई में पीडि़ता की ओर से पीसी सोलंकी ने अभियोजन पक्ष की ओर से एएजी एस के व्यास, ओ पी राठी व याचिकाकर्ता की ओर से निशांत बोड़ा ने पैरवी की। इसके बाद न्यायाधीश ने निर्णय सुरक्षित रख लिया थ।
शिल्पी पर आसाराम की राजदार और अपराध में सहयोग करने का आरोप लगा था। इस केस में जज ने आसाराम के साथ साथ उसे भी सजा सुनाई गई थी। पिछले दिनों सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता महेश बोड़ा व उनके सहयोगी निशांत बोड़ा ने बहस की। तब उन्होंने शिल्पी के पक्ष में पैरवी करते हुए चालान व सजा के आदेश में अंकित आईपीसी की धाराओं की व्याख्या करते हुए याचिकाकर्ता को दी गई सजा को चुनौती दी थी।
वहीं शिल्पी के साथ आसाराम, पीडि़ता व उनके परिजनों के साथ हुए मोबाइल व लैंडलाइन फोन पर बातचीत का टैक्स्ट रिकॉर्ड में उपलब्ध नहीं होने पर भी आपत्ति जताई थी। ध्यान रहे कि एससी एसटी कोर्ट के जज मधुसूदन शर्मा ने यौन उत्पीडऩ के मामले में 25 अप्रेल 2018 को शिल्पी व शरद को 20-20 साल की सजा देने के आदेश दिए थे। वहीं आसाराम को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
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