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पब्लिक शॉर्टकट के लोभ में ज़िंदगी दाव पर हादसों को हरी झंडी

जोधपुर रेल मण्डल के स्टेशनों पर टूटी दीवारें दुर्घटनाओं को न्योता दे रही हैं। रेलवे पटरी पैदल पार करना कानूनी अपराध है, लेकिन पटरियों के दोनों तरफ रहने वाले लोग शोर्टकट का रास्ता ले रहे है। साथ ही एक छोर से दूसरे पर जाने के लिए पैदल ही पटरियां पार करते हैं।

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महामंदिर से मंडोर की दूरी 5.4 किलोमीटर है रेल लाइन की बाउंड्री लंबे समय से टूटी पड़ी है। शहरी इलाकों में कहीं रेलिंग और दीवार टूटी हुई है, तो कहीं है ही नहीं। वहीं 200 मीटर पर दीवार टूटी हुई और कहीं पर नज़र ही नहीं आ रही है। साथ ही कुछ मकानों के बीच में से पतला रास्ता निकाला हुआ है। रेलवे आपके मंगलमय यात्रा की कामना का ढिंढोरा पीटने वाला रेलवे अनचाहे ही हादसों को हरि झंडी दिखा रहा है। पत्रिका टीम ने सोमवार को रेलवे लाइन पर पैदल मार्ग से इलाकों का जायज़ा लिया महामंदिर से मंडोर के बीच में दो ओवरब्रिज है एक अंडरब्रिज है। पहला स्टेज भदवासिया ओवर ब्रिज के नीचे प्रशासन ने लोहे की एंगल लगाकर रास्ता बंद किया था मगर लोगों ने वहां से हटाकर वापस रास्ता बना दिया। रेलवे ट्रैक के दोनों तरफ़ 50 से अधिक मकान बने हुए हैं ओर सुरक्षा दीवार भी नहीं है ट्रैक पर हर समय स्थानीय क्षेत्रवासी खेलते हुए नजर आते है। साथ ही ट्रैक के पास सुरक्षा दीवार नहीं और खुला पड़ा है नाला। दूसरा स्टेज मंडोर कृषि मंडी के पास ट्रैक से 50 मीटर दूरी पर है जगजीवन विद्यालय के पास सुरक्षित दिवार व रेलिंग नहीं है। तीसरा स्टेज किशोर बाग स्थित पहाड़गंज द्वितीय की तरफ जाने वाले लोगो ने जगह-जगह से दीवार को तोड़कर आम रास्ता बना दिया है। प्रशासन ने यहां पर रेलवे ट्रैक के पास रास्ता बंद करने के लिए लोहे की रेलिंग लगाकर रास्ता बंद किया था। मगर लोगों ने यहां से रेलिंग हटाकर वापस रास्ता शुरू कर दिया। हर दिन रेलवे ट्रैक को पार करके जाते विद्यार्थी। चौथा स्टेज मंडोर विजेंद्र नगर से नागोरी बेरा रेलवे ट्रैक के पास नहीं है सुरक्षा दीवार व रेलिंग आरएसी परिसर में बने क्वार्टर में जाने के लिए लोगों ने रेलवे ट्रैक के पास ही रास्ता बना दिया है। रेलवे ट्रैक से गुजरते बच्चे पचवा स्टेज मंडोर रेलवे स्टेशन से 200 से 300 मीटर तक नहीं है दीवार व रेलिंग ट्रैक के पास से है कच्चा रास्ता इससे कच्चे रास्ते से लोग वाहन लेकर निकलते हैं। नागौर रोड हाईवे पर ट्रैक के बीच में नहीं है रेलिंग। इसके लिए कौन है ज़िम्मेदार- महामंदिर से मंडोर की ओर लाइन के किनारे और रोड के सहारे कुछ किलोमीटर तक बाउंड्रीवाल बनी है, मगर दूसरी तरफ़ वह भी नहीं है। स्थानीय लोगों ने कई जगह अपने आवागमन के लिए रेलिंग तोड़ दी है। कम से कम शहरी क्षेत्र में रेल लाइन के दोनों तरफ़ रेलिंग होनी चाहिए। कोई उसे क्षतिग्रस्त न करे इसकी भी पुख्ता व्यवस्था होनी चाहिए। दूसरी तरफ पटरियों के सहारे न तो कटीले तार लगे हैं और न दीवार का ही इंतजाम है। रेलवे एहतियाती कदम उठाए तो ऐसे हादसों से बचा जा सकता है। उनके सामने टूटते हैं कायदे कानून। कार्रवाई के नाम सिर्फ दिखावा नजर आता है।