देर रात तक चलती गर्म हवा
शहर में देर रात तक गर्म हवा का अहसास होता है। इसका कारण है पहाड़ियां जो दिनभर धूप से गर्म हो जाती है, वह ठंडा होने में पांच से छह घंटे लगा देती है। इसीलिए वहां से टकरा कर हवाएं गर्म अहसास देती है, लेकिन परकोटा शहर की तंग गलियों में सूरज ढलने के बाद यह अहसास काफी कम होता है।पत्रिका ने जांचा तो 4.5 डिग्री का फर्क
शनिवार दोपहर 2 बजे से 3 बजे के बीच पत्रिका ने तंग गलियों व खुले रहवासीय क्षेत्रों का जायजा लिया। उम्मेद चौक क्षेत्र की तंग गलियों में पारा 40.5 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड हुआ। इसके बाद लायकान मोहल्ले में तापमान ने 40 डिग्री सेल्सियस की रीडिंग बताई। इसके 15 मिनट बाद ही सरदारपुरा नेहरू के समीप कॉलोनी में पारा 45 डिग्री रिकॉर्ड हुआ।दो बड़े कारण
छह से आठ फीट की संकरी गलियांशहरी क्षेत्र में मुख्य सड़कों को छोड़ कर अधिकांश तंग गलियां छह से आठ फीट की है। ऐसे में यहां दोपहर 12 बजे तक सूरज सीधा तपता है तब धूप पड़ती है। इसके आस-पास एक घंटे तक कुछ का प्रभाव रहता है, लेकिन इसके अलावा आस-पास के भवनों की छाया आ जाती है और धूप सीधी नहीं पड़ती।
विशेषज्ञ बताते हैं कि जब गर्म हवा चलने लगती है तो वह तंग गलियों से होकर गुजरती है तो उसका तापमान स्वत: ही कम हो जाता है। इसके बाद जब गलियां किसी चौक में खुलती है तो वहां कम्प्रेस होकर यह गर्म हवा ठंडी हवा में परिवर्तित हो जाती है। इससे लू का प्रकोप भीतरी शहर में कम होता है।
गलियों में सूरज की रोशनी सीधे कम आती है
पुराने शहर की बसावट कुछ इस प्रकार है कि सीधे सूरज की रोशनी गलियों व सड़कों पर काफी कम समय के लिए ही रहती है। इसीलिए तपन भी जल्द ही कम भी हो जाती है। दूसरा हवा भी संकरी गलियों में कम्प्रेस होकर ठंडी हो जाती है। इसलिए सामान्य तौर पर शहर में तापमान भी कम रहता है। खुले क्षेत्र जहां हवा टकराती नहीं है और सीधी आती है, वहां गर्म भी रहती है और सूरज की किरणें भी सीधी पड़ती है।- प्रो. कमलेश कुमार, आर्किटेक्चर विभाग, एमबीएम यूनिवर्सिटी जोधपुर