
जोधपुर. सलमान खान की ओर से अंतिम बहस करते हुए अधिवक्ता हस्तीमल सारस्वत ने इस मामले के अनुसंधान अधिकारी रहे ललित बोड़ा के बयान और उससे की गई जिरह में आए कई विरोधाभास कोर्ट के समक्ष रखे। उन्होंने कहा कि बोडा़ ने जिरह में यह स्वीकार किया था कि उम्मेद भवन होटल के कमरा नम्बर 508 में जहां सलमान खान ठहरा था, उसकी पहली बार 10 अक्टूबर 1998 को श्रवणकुमार ने गहन तलाशी ली।
इस तलाशी में तथाकथित हिरण शिकार से सम्बन्धित कोई सुबूत नहीं मिला था। सारस्वत ने कहा कि अधिकारी की ओर से दुबारा १२ अक्टूबर को ली गई तलाशी में आश्चर्यजनक रूप से एयरगन, छर्रे और कैमरा आदि की बरामदगी दिखा दी गई। उन्होंने बोड़ा की ओर से डा. नेपोलिया को समय पर पोस्टमार्टम रिपोर्ट के लिए तलब नहीं करने पर भी सवाल उठाए। सारस्वत ने बोडा़ की जिरह के दौरान इस स्वीकारोक्ति पर भी बहस की, जिसमें अधिकारी ने स्वीकार किया था कि गनशॉट के निशान वाले खाल के टुकड़े विधि विज्ञान प्रयोगशाला नहीं भेजे गए थे।
बचाव पक्ष ने अभियोजन के एक अन्य गवाह सत्यमणि तिवाड़ी की ड्यूटी के सम्बन्ध में रोजनामचा न्यायालय में पेश नहीं करने पर भी सवाल उठाए और कहा कि सलमान के हथियारों को जोधपुर में बताने के लिए बोड़ा ने तिवाड़ी को झूठे गवाह के तौर पर तैयार किया और महत्वपूर्ण प्रकरण की जांच अयोग्य अधिकारी से करवाई। सारस्वत ने बहस के दौरान न्यायालय में कहा कि जांच अधिकारी बोड़ा ने न्यायालय से सलमान खान का चार दिन का रिमाण्ड लिया था। इस अवधि में बोड़ा ने मौका तस्दीक, हथियारों की बरामदगी सहित कई महत्वपूर्ण तथ्य दरकिनार किए ।
जब बोड़ा से जिरह के दौरान इन तथ्यों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यह उसका पहला केस हैं, उसे पूरी विधिक जानकारी नहीं है। अधिवक्ता सारस्वत ने कहा कि इस प्रकरण की जांच बोडा़ जैसे अयोग्य अधिकारी से करवाई गई, इसलिए ऐसे अधिकारी की जांच के आधार पर सलमान खान को दोषी नहीं माना जा सकता।
Published on:
10 Jan 2018 09:09 pm
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