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स्कूलें खुली, बाजार में किताबें नहीं, दुकानों पर भटक रहे बच्चे, जिम्मेदारों को परवाह ही नहीं

तीसरी व कक्षा 6 से 8 की एक भी किताब नहीं, अन्य कक्षाओं की भी कुछ किताबें नहीं, पुरानी दरों की किताबें भी मिल रही ज्यादा कीमत में

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स्कूलें खुली,  बाजार में किताबें नहीं, दुकानों पर भटक रहे बच्चे, जिम्मेदारों को परवाह ही नहीं

स्कूलें खुली, बाजार में किताबें नहीं, दुकानों पर भटक रहे बच्चे, जिम्मेदारों को परवाह ही नहीं

जोधपुर. नया शिक्षा सत्र शुरू हुए ग्यारह दिन पूरे होने जा रहे हैं, लेकिन सरकार की आधी-अधूरी तैयारी के चलते नए सत्र की पाठ्य पुस्तकें बच्चों को नहीं मिल पा रही है। हाल यह है कि कक्षा 4 को छोड़ सभी सभी कक्षाओं की अधिकांश किताबें बाजार में नहीं है। वहीं, कक्षा 3 व कक्षा 6 से 8वीं की तो एक भी किताब बाजार में नहीं है।

इससे स्कूलों में अध्ययनरत नौनिहाल किताबों के लिए दुकान दर दुकान ठोकरें खाते फिर रहे हैं। अभिभावकों को परेशान करने वाले इस तरह के हालात नए नहीं हैं और ये सरकारी कारिंदों के शिक्षा सुधार के उन झूठे दावों की पोल खोलते हैं, जो हर वर्ष किए जाते हैं।

ये किताबें बाजार में नहीं

कक्षा कुल किताबें अनुपलब्ध

2 3 1

3 3 3

5 3 1

6 9 9

7 9 9

8 9 9

9 13 12

10 12 10

कक्षा 11 व 12वीं की अनिवार्य हिन्दी-अंग्रेजी के अलावा ऐच्छिक विषयों की पुस्तकें नहीं है।

सरकार की ओर से अधिकृत प्रकाशन मण्डल की ओर से जारी सूचना के अनुसार इस सत्र में कोर्स कम किया गया है, लेकिन पाठ्यपुस्तकों की अध्ययन सामग्री में परिवर्तन नहीं है, इसलिए सत्र 2021-22 व 2022-23 की पुस्तकें प्रचलन में है, जो काम में ली जा सकती है। लेकिन पुस्तक विक्रेताओं को गत सत्र की पुस्तकों को पुरानी छपी दरों की बजाए नई दरों में बेचनी पड़ रही है, जो ज्यादा है। इससे विक्रेताओं व ग्राहकों में विवाद हो रहे है। दूसरी ओर पुराना स्टॉक कम होने से बच्चों को पूरी किताबें भी उपलब्ध नहीं कराई जा रही है।

नुकसान विद्यार्थियों का

बच्चों को किताबें मिलने में देरी होने से कोर्स देरी से पूरा होगा, उनकी पढ़ाई प्रभावित होगी व अतिरिक्त बोझ बढ़ जाएगा।

बच्चे की सातवीं की किताबों के लिए के तीन-चार दुकानों पर पता किया, लेकिन कहीं पर भी किताबें नहीं मिली।

जितेन्द्रसिंह दैया, अभिभावक

कक्षा 8वीं की किताबें लेने आया, लेकिन नहीं मिली।

रजत कल्ला, विद्यार्थी

बाजार में किताबें उपलब्ध नहीं है। सरकार पुरानी किताबों की दरें बढ़ाकर दे रही है। सरकार से बच्चों के हित में समय पर पुस्तकों की उपलब्धता के लिए सही कदम उठाने का आग्रह है।

ओम आनंद द्विवेदी, अध्यक्ष पश्चिमी राजस्थान पुस्तक व्यवसायी व लेखन सामग्री विक्रेता संघ

सरकार हर साल किताबों के लिए लंबी घोषणाएं, नए वादे करती है, जो खोखले है। बाजार में समय पर किताबें उपलब्ध नहीं हो रही है। बच्चे अक्टूबर तक किताबों के लिए भटकते हैं।

अनिल गोयल, महासचिव पश्चिमी राजस्थान पुस्तक व्यवसायी व लेखन सामग्री विक्रेता संघ