मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महांति तथा न्यायाधीश विनित कुमार माथुर की खंडपीठ ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर स्वप्रेरणा से दर्ज जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान कहा कि कई निर्देशों के बावजूद भर्ती पूरी किए जाने की समय सीमा की आवश्यक जानकारी नहीं दी गई है। अतिरिक्त महाधिवक्ता करणसिंह राजपुरोहित ने कहा कि पूर्व में कई बार समय सीमा को लेकर कोर्ट में अतिरिक्त शपथ पत्र पेश किए गए हैं। कोर्ट ने कहा-नियमों के तहत नियुक्तियां या तो सीधी भर्ती के माध्यम से या वार्षिक आधार पर पदोन्नति के माध्यम से की जाती हैं, इसलिए, हम सुझाव देते हैं कि राज्य को भविष्य के लिए राजस्थान लोक सेवा आयोग के समन्वय से भर्तियों का एक कैलेंडर तैयार करना चाहिए। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने मनीष कुमार बनाम भारत संघ मामले में उत्तरप्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडू, बिहार, झारखंड तथा पश्चिम बंगाल में पुलिस महकमे में बड़ी संख्या में खाली पदों को लेकर सुनवाई की थी और इन राज्यों के गृह सचिव व पुलिस प्रमुखों को शीघ्रातिशीघ्र भर्तियां सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश दिए थे। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के ध्यान में लाया गया कि गुजरात, तेलंगाना तथा राजस्थान जैसे बड़े राज्यों में भी पुलिसकर्मियों के पद हजारों की संख्या में खाली हैं। राज्य वार मॉनिटरिंग सुनिश्चित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर राजस्थान हाईकोर्ट ने स्वप्रेरणा से जनहित याचिका दर्ज की थी। अगली सुनवाई 15 सितंबर को मुकर्रर की गई है।