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त्रियोग में मनाया जाएगा गुरुपूर्णिमा का पर्व, सर्वार्थसिद्धि योग में करें भैरव का पूजन

- तीन दशक बाद श्रवण नक्षत्र, सर्वार्थ सिद्धि के साथ चंद्र-शनि के केंद्र का योग

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जोधपुर. पंचांग की गणना के अनुसार गुरु पूर्णिमा और भैरव पूर्णिमा पर इस बार करीब 30 वर्ष बाद फिर से युति व स्थिति निर्मित हो रही है। इस दिन गुरु पूर्णिमा, श्रवण नक्षत्र , सर्वार्थ सिद्धि और शश योग के साथ चंद्र-शनि का केंद्र योग भी बन रहा है । प्रमुख ज्योतिषियों के अनुसार इस बार शनिवार के दिन उत्तराषाढ़ा नक्षत्र उपरांत श्रवण नक्षत्र की साक्षी एवं प्रीति योग एवं बव करण के साथ मकर राशि के चंद्रमा की उपस्थिति में गुरु पूर्णिमा व भैरव पूर्णिमा योग बन रहा है। संयोग से इसी दिन सर्वार्थ सिद्धि योग भी है। ऐसे योग में गुरु तथा भैरव की पूजन का विशेष महत्व बताया गया है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि का एक राशि पर प्रभाव 30 वर्ष के आसपास होता है। यह अपनी स्थिति धीमी गति के साथ आगे बढऩे वाली काल गणना के अनुसार दर्शाते हैं। चंद्रमा के शनि के साथ होने से यह केंद्र योग भी है, हालांकि चंद्र शनि की युति भी मानी जाती है, लेकिन इसका कोई अतिरिक्त प्रभाव नहीं।

दोपहर 12.41 के बाद सर्वार्थसिद्धि योग
शनिवार 24 जुलाई के दिन दोपहर 12.41 के बाद श्रवण नक्षत्र की साक्षी सर्वार्थ सिद्धि योग की श्रेणी में आ रही है। इस दिन किया गया कोई भी कार्य सिद्धि प्रदान करता है। साथ ही यदि इस दिन कुल भैरव का पूजन किया जाए तो परिवार में सुख शांति और समृद्धि व कार्य सिद्ध होते हैं।