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काम-काज बंद है, फिर भी जिंदादिली ऐसी कि रंगों से सजगता-सकारात्मकता लाने का प्रयास

- पेंटर भाई अब तक 4 से 5 लाख रुपए खर्च कर 50 से ज्यादा वॉल और रोड पेंटिंग बनवा चुके

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काम-काज बंद है, फिर भी जिंदादिली ऐसी कि रंगों से सजगता-सकारात्मकता लाने का प्रयास

काम-काज बंद है, फिर भी जिंदादिली ऐसी कि रंगों से सजगता-सकारात्मकता लाने का प्रयास

जोधपुर। काम-काज बंद है, लेकन निराशा पालने से बेहतर है कि फ्री बैठे समय का सदुपयोग किया जाए। इसी सोच के साथ दो पेंटर भाई जिंदादिली दिखाते हुए लोगों में सजगता का संदेश देने और सकारात्मकता लाने का प्रयास कर रहे हैं। शहर की सडक़ों व दीवारों पर अब तक ५० से अधिक पेंटिंग दूसरी लहर के लॉकडाउन के दौरान बना चुके हैं। पिछले साल भी इसी प्रकार इन्होंने यह संदेश दिया था।

यह दोनों भाई दिनेश और रमेश डांगी है। रमेश आर्ट के नाम से शहर की सडक़ों पर इन दिनों जो बड़ी-बड़ी पेंटिंग दिख रही है वह इन्हीं दो भाई ने बनाई है। रमेश बताते हैं कि पिछले साल पहली बार जब लोगों में काफी खौफ था तो नियमों की पालना करवाने व कुछ सकारात्मकता फैलाने के लिए पेटिंग शुरू की थी। काम-काज नहीं चल रहा था लेकिन अपने स्तर पर लेबर और रंगों का इंतजाम किया। कुछ भार तो पड़ा, लेकिन खाली बैठ कर निराश होने से अच्छा था। इसके बाद इस साल दूसरी लहर में कई लोगों ने अपनों को खोया तो फिर पुलिस व प्रशासन की अपील पर लोगों को जागरूकता संदेश देने वाली पेंटिंग बनाने का काम शुरू किया।
औसत १० हजार का खर्च

एक पेंटिंग को बनाने में औसत १० से हजार का खर्च आता है। कई बार तो ५० से ६० फीट की पेंटिंग भी होती है। पूरा दिन लगता है और लेबर को मेहनताना भी देना होता है। अब तक ३० - ४० सडक़ों पर पेंटिंग बना चुके हैं। १०-१५ दीवार पर पेंटिंग बनाई। रावण का चबूतरा मैदान की पूरी ७० फीट की दीवार पर संदेश व श्लोक लिखे। सोनू सूद की ऑक्सीजन सिलेंडर लिए और डॉक्टस को कोरोना वॉरियर को दर्शाती पेंटिंग काफी आकर्षक रही है।