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ये लहर ऐसी, कोई नहीं पूछ रहा रेमडेसीविर व एंटी बॉडी कॉक टेल

  जरूरत ही नहीं पड़ रही

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ये लहर ऐसी, कोई नहीं पूछ रहा रेमडेसीविर व एंटी बॉडी कॉक टेल

ये लहर ऐसी, कोई नहीं पूछ रहा रेमडेसीविर व एंटी बॉडी कॉक टेल

जोधपुर. कोरोना संक्रमण की तीसरी वेव बड़ी रफ्तार के साथ जोधपुर में प्रवेश कर रही है। एक तरफ जहां कोरोना की द्वितीय लहर में रेमडेसीविर की कालाबाजारी देखी जा रही थी। वहीं इन दिनों हालात ये हैं कि रेमडेसीविर, तोशिलाजुनाब व एंटीबॉडी कॉकटेल जैसे इंजेक्शनों की जरूरत ही नहीं पड़ रही है। अस्तपालों में भी बामुश्किल से 10-15 एडमिशन हुए है। जिन मरीजों के एडमिशन भी हुए, उनमें भी कोरोना को लेकर इतना कॉम्पलिकेशन नहीं देखा गया। रेमडेसीविर, तोशिलाजुनाब व एंटीबॉडी कॉकटेल का उपयोग डाउन होती ऑक्सीजन सेचुरेशन को रोकना था। जबकि इस वेव में ऑक्सीजन सेचुरेशन डाउन नहीं देखी जा रही है। ज्यादातर रोगियों में ओमिक्रॉन जैसे ही सिम्पटम्स दिख रहे हैं। चिकित्सकों का कहना है कि जोधपुर में सर्वाधिक मरीजों को ओमिक्रॉन ही है। मतलब वायरस का पूरा बिहेवियर ओमिक्रॉन जैसा ही है। वर्तमान में जोधपुर ड्रग वेअर हाउस में सवा सात हजार का रेमडेसिवीर, दो-तीन सौ तोशिलाजुनाब व एंटीबॉडी कॉकटेल इंजेक्शन उपलब्ध है।

25-50 हजार में बिके इंजेक्शन, कई बार शॉर्ट हो गए
जोधपुर में रेमडेसिवीर की कालाबाजारी तेजी से हुई थी। ये इंजेक्शन कई ड्रग माफियाओं ने 25-50 हजार रुपए में बेचने चाहे, कुछ पुलिस के हत्थे भी चढ़े। पहले इसकी उपलब्धता निजी अस्पताल में खत्म हुई और फिर सरकारी अस्पतालों में। एमडीएम अस्पताल को अपना डे केयर रेमडेसीविर नहीं होने के कारण बंद करना पड़ गया। इस इंजेक्शन को डेल्टा वेरिएंट के लिए रामबाण माना गया, लेकिन कई मरीजों को रेमडेसीविर लगने के बावजूद उनको नहीं बचाया जा सका। इस इंजेक्शन की मैन्यूफैक्चरिंग व मार्केटिंग भी विभिन्न कंपनियां करती थीं।

इनका कहना हैं...

वर्तमान में हमारे पास उच्च स्तरीय आदेशानुसार पर्याप्त मात्रा में बफर स्टॉक संधारित है। संस्थाओं की मांग अनुसार सप्लाई कर दी जाएगी।

- डॉ. राकेश पासी, प्रभारी, औषधि भंडार गृह, जोधपुर