ये बनाए थे निगम ने प्लान पहला प्लान: केरु, सालावास व नांदड़ी गौशाला में करीब 10 मेगावाट का सौर ऊर्जा प्लांट लगाने की योजना बनाई। यह पीपीपी मोड पर था। दूसरा प्लान: शहर में करीब 66 हजार रोड लाइटें हैं। पहले ये सोडियम लाइटें थी, बाद में इन्हें एलईडी में बदला गया। इसके बाद इन सभी पर सोलर लाइटें लगाने की योजना बनाई।
तीसरा प्लान: शहर की सभी 66 हजार रोड लाइट पर एक चिप लगानी थी। इसमें टाइमर के माध्यम से रात्रि 12 बजे से सुबह 5 बजे तक रोड लाइटें डिम हो जानी थी। लेकिन ये प्लान ज्यादा महंगा होने के कारण फेल हो गया।
फिलहाल वित्तीय स्थिति कमजोर, भविष्य में बनाएंगे योजना -कार्यभार ग्रहण करने के बाद सौर ऊर्जा को लेकर निगम ने कोई काम नहीं किया है। इसका सबसे बड़ा कारण तो पिछले लम्बे समय से कोराना चल रहा है। वहीं उत्तर निगम के पास वित्तीय स्थिति भी ठीक नहीं है। इस कारण कई प्रोजेक्ट धीमी गति से चल रहे हैं। हालांकि सौर ऊर्जा को लेकर निगम भविष्य में जरुर प्रयास करेगा।
– कुंती देवड़ा परिहार, महापौर, उत्तर नगर निगम
– कुंती देवड़ा परिहार, महापौर, उत्तर नगर निगम
सरकार बदलते ही प्रोजेक्ट पर काम नहीं राजस्थान में सबसे पहले जोधपुर नगर निगम ने अपने भवन में सोलर प्लेट लगाकर सौर ऊर्जा का उपयोग किया। इसके बाद केरु, सालावास व गौशाला में सोलर प्लांट लगाने व रोड लाइट सोलर से चलाने के प्लान किए थे। इनके प्रस्ताव राज्य सरकार को भी भेजे। लेकिन राज्य में सरकार बदलने के कारण इन दोनों प्रोजेक्ट पर कोई काम नहीं हुआ।
घनश्याम ओझा, पूर्व महापौर, नगर निगम
घनश्याम ओझा, पूर्व महापौर, नगर निगम