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video : जाने कैसे सोशल मीडिया ने संवारी सरकारी स्कूल की सूरत

रामनगर में बनाया निजी से बेहतर सरकारी स्कूल

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व्हाट्सअप पर ग्रुप बनाकर जुटाई मदद
भोपालगढ़/जोधपुर. ‘ज्ञानार्थ प्रवेश और सेवार्थ प्रस्थान का स्लोगन लिखा विद्यालय का मुख्य द्वार, प्रेरणास्पद कहानियों एवं सुखद संदेशों के साथ कथाचित्रों से अंकित व सज्जित स्कूल की दिवारें, रंग-रोगन से चमकता पूरा परिसर, प्रत्येक कमरों के बाहर व अंदर की दिवारों पर लिखे शिक्षाप्रद स्लोगन एवं वीरों, शहीदों व स्वतंत्रता सैनानियों के चित्र और इनके नाम पर ही रखे अलग-अलग कक्षाकक्ष, पूरे परिसर में उगे हरियाली से भरे-पूरे नजर आते पेड़, मुख्य द्वार से स्कूल कार्यालय तक बनाया सुसज्जित रास्ता। यहां तक कि विद्यालय में कम्प्यूटर सैट, पानी की मोटर, फ्लड लाइट, आटाचक्की समेत अन्य सुविधाओं के साथ ही आधुनिक शिक्षा के लिए लगाया प्रोजेक्टर और इस पर स्लाइड के माध्यम से पढ़ते स्कूली बच्चे तथा सभी बच्चों के गले में लटकते आईकार्ड।’ यह है भोपालगढ़ विधानसभा क्षेत्र के सालवा कलां ग्राम पंचायत के रामनगर गांव का एक उच्च प्राथमिक विद्यालय। लेकिन अभी भी आप सोच रहे होंगें, कि इतनी सुविधाओं वाला यह विद्यालय शर्तिया कोई निजी विद्यालय होगा। अगर ऐसा है, तो आप गलत हैं, क्योंकि आपको जानकर यह अचरज होगा, कि इन सभी आलीशान सुविधाओं वाला यह विद्यालय कोई निजी नहीं, बल्कि छोटे से गांव रामनगर का सरकारी उच्च प्राथमिक विद्यालय है और इस विद्यालय में इन सारी सुविधाओं को जुटाने में सोशल मिडिया की बड़ी भूमिका रही है। साथ ही इन सुविधाओं को गांव के ही युवाओं ने सोशल मिडिया के माध्यम से जुटाकर अपने गांव के एक छोटे से सरकारी विद्यालय को ऐसा रुप दिया है। जिसे देखकर हर कोई प्रशंसा करते नहीं थकता है। अक्सर आप और हमारे सामने सोशल मिडिया के दुरुपयोग की खबरें तो आती ही रहती है, लेकिन इसका सदुपयोग किया जाए, तो मिशाल भी बनाई जा सकती है। कुछ ऐसी ही सोशल मिडिया के सदुपयोग की मिशाल कायम की है, भोपालगढ़ विधानसभा क्षेत्र के सालवा कलां ग्राम पंचायत के राजस्व गांव रामनगर के युवाओं व ग्रामीणों ने। जिन्होंने सोशल मिडिया व्हाट्सअप पर विद्यालय के ही एक शिक्षक रघुनाथ बिश्नोई द्वारा बनाए एक ग्रुप ‘आपणी पाठशाला रामनगर’ से जुड़कर और इसकी मदद से गांव के सरकारी विद्यालय के विकास के लिए युवाओं व नौकरीपेशा लोगों से सहायता जुटाते हुए अपने गांव के सरकारी विद्यालय की सूरत ऐसी संवारी है, कि अब यह विद्यालय किसी निजी विद्यालय से भी बेहतर नजर आता है और सुविधाओं के लिहाज से भी यह विद्यालय निजी स्कूलों से कहीं आगे हो गया है। लेकिन इससे पहले यह विद्यालय अन्य सरकारी विद्यालयों की तरह से सुविधाओं के अभाव वाला एक छोटा सा स्कूल ही था और अब डेढ़-दो साल में यह विद्यालय अपने नए स्वरुप में सबके सामने है। विद्यालय के शिक्षक रघुनाथ विश्नोई ने करीब दो साल पहले व्हाट्सअप पर बनाए ग्रुप ‘आपणी पाठशाला रामनगर’ में गांव के युवाओं व नौकरीपेशा लोगों को जोङ़कर विद्यालय विकास के बारे में उनसे चर्चा की, तो सभी सदस्यों ने विद्यालय विकास में आगे आने की बात कही और एक के बाद एक भामाशाह जुड़ते गए। देखते ही देखते इन्होंने सहायता राशि देनी भी शुरु कर दी और बाहर नौकरी करने वाले सैनिकों व अन्य लोगों ने भी इस अभियान को हाथोंहाथ लेते हुए पैसे उपलब्ध करवाए। साथ ही कई भामाशाहों ने विद्यालय परिसर समतलीकरण करवाया, तो किसी ने कम्प्यूटर सेट, पानी की मोटर, संपूर्ण विद्यालय में बिजली फीटिंग, फ्लड लाइट, म्यूजिक सिस्टम, हारमोनियम-ढोलक, टाई-बेल्ट, आईकार्ड, जूते, स्टेशनरी, बस्ते, वाटर प्यूरीफायर, पंखें, वाटर कूलर, प्रिंटर, लेक्चर स्टेंड, रंग-रोगन, चित्रकारी, कुर्सियां, टेबल-मेज, दरी-पट्टी, कचरा-पात्र, पानी फीटिंग, शौचालय मरम्मत, छत मरम्मत, आटा चक्की, पानी टंकी, रेलिंग, रपट निर्माण आदि कार्य करवाते हुए इस विद्यालय को भौतिक सुख-सुविधाओं से परिपूर्ण कर दिया। वहीं ग्रुप से प्रेरित होकर हाल ही सेवानिवृत्त हुए विद्यालय के प्रधानाध्यापक मांगीलाल बिश्नोई ने भी सेवानिवृत्ति के दिन प्रॉजेक्टर भेंट किया। यहां तक कि विद्यालय परिसर में करीब सौ से अधिक पेड़ लगाए और विद्यालय में पानी की कमी होने के बावजूद प्रत्येक पेड़ के पास नीचे छोटा छेद की हुई मटकियां रखकर स्वनिर्मित बूंद-बूंद सिंचाई से सभी पेड़ों को भी पनपाकर बड़े करते हुए विद्यालय को हरा-भरा बना दिया। रामनगर गांव के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय में ग्रामीणों व युवाओं की ओर से तो सभी प्रकार की सुविधाएं जुटा ली गई और इसकी वजह से विद्यालय में गत दो बरसों के मुकाबले छात्र संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है। लेकिन बावजूद इसके सरकारी स्तर पर समुचित सहयोग नहीं मिल पाया है। जिसके चलते विद्यालय में अभी शिक्षकों की कमी है और स्वीकृत छह पदों के मुकाबले प्रधानाध्यापक समेत दो पद खाली पड़े हैं। ऐसे में आठवीं कक्षा तक का यह विद्यालय मात्र चार शिक्षकों के भरोस ही चल रहा है। रामनगर स्कूल के शिक्षक एवं ग्रुप एडमिन रघुनाथ विश्नोई का कहना है कि हमनें विद्यालय विकास के लिए सोशल मिडिया पर गांव के युवाओं व नौकरीपेशा लोगों को जोड़ा और इन लोगों ने भी भरपूर सहयोग किया। जिसके चलते विद्यालय विकास को चार चांद लग पाए हैं। सभी जगह लोग अपने गांव के विद्यालय का इसी तरह सहयोग करें, तो सभी विद्यालय रामनगर स्कूल जैसे बनने में देर नहीं लगेगी।