सरकार को एक्सपोर्ट से जुड़ी सभी इकाइयों पर इनकम टेक्स को पूरा माफ करना चाहिए। आज जब पूरा विश्व आर्थिक महामंदी के दौर से गुजर रहा है तो विदेशी मुद्रा की व्यवस्था करने वाले एक्सपोर्टर्स पर विशेष ध्यान देना पड़ेगा। सरकार को निर्यातकों को इंसेंटिव व सब्सिडी देनी चाहिए। सरकार एक्सपोर्टर्स को ब्याज मुक्त ऋ ण उपलब्ध करवाए ताकि निर्यातकों द्वारा भेजा गया एक्सपोर्ट विश्व बाजार में कॉम्पटीटिव बना रहे।
हस्तशिल्प निर्यात के लिए यह पूरा साल खराब है, इस उद्योग को खड़े होने में कम से कम 6 से 8 माह का समय लगेगा। अभी अन्य देशों की अर्थव्यवस्था भी डांवाडोल है। लॉकडाउन खुलने के बाद ऑर्डर में कमी आएगी, फैक्ट्री चलाने के लिए लेबर की व्यवस्था करना करना भी चुनौती होगी, इससे मजदूरों को रोजगार देने में भी कमी आएगी। सरकार से इस उद्योग को विशेष सब्सिडी की जरूरत है। कंटनेर्स ट्रंासपोर्ट में राहत, बिजली दरों, बैंकिंग ऋण आदि में सरलीकरण होना चाहिए।
-डॉ. भरत दिनेश, अध्यक्ष, जोधपुर हैण्डीक्राफ्ट एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन
ऑर्डर्स हो गए कैंसिल
लॉकडाउन व विश्वव्यापी मंदी से ऑर्डर्स कैंसिल हो गए है। निर्यातकों को बिजनेस खड़ा करने के लिए लंबी लड़ाई लडऩी होगी। इसके लिए सरकार के सहयोग की बहुत जरूरत होगी। कंटेनर्स अटके पड़े हैं, मजदूर पलायन कर गए है, विदेशी ग्राहक हमारे द्वारा पहले से ही भेजे गए माल के कंटेनर्स को नहीं छुड़वा रहे हैं और हमसे माल छुड़वाने के लिए कई तरह के इंसेंटिव मांग रहे हैं। ऐसे में इस उद्योग को बचाने के लिए हम सरकारी राहत की उम्मीद कर रहे हैं।
हैंडीक्राफ्ट के बाद उभरे टेक्सटाइल उद्योग पिछले करीब दो साल से संकट के दौर में चल रहा है। अवैध इकाइयों की वजह से सरकार व एनजीटी के कारण उद्योग खराब हो गया हैं। करीब सात लाख मीटर प्रतिदिन उत्पादन होता था, आज उत्पादन जीरो हो गया है। ऐसी स्थिति में उद्योग को खड़ा करना मुश्किल होगा। सरकार अगर इस उद्योग को राहत नहीं देगी तो यह उद्योग खत्म हो जाएगा। सरकार को बिजली दरों व बैंक ऋणों आदि में रियायत देनी चाहिए।
लॉकडाउन से उद्योग चौपट हो गया है। सरकार को बिजली बिलों को छह माह तक माफ करने चाहिए। स्टाफ सैलेरी-मजदूरों के वेतन के लिए इएसआइ विभाग का योगदान मिलना चाहिए। गारमेंट एक्सपोर्ट पर ड्यूटी ड्रॉ बैक के रूप में प्रोत्साहन बढऩा चाहिए। रीको की ओर से लिए जाने वाले डवलपमेंट चार्जेज एक साल के लिए माफ होने चाहिए। कच्चे माल पर जीएसटी में छूट मिलनी चाहिए।
20 हजार हज़ार लोगों का रोजग़ार छिन गया
मार्च से मई तक ज़्यादा कपड़ा प्रोडक्शन होता है। लॉकडाउन के चलते तीनों माह निकल जाएंगे, फि र मानसून आ जाएगा। कऱीब 20 हजार हज़ार लोगों का रोजग़ार छिन गया है। लॉकडाउन के ख़त्म होने के बाद जब उद्योग चालू होंगे तो राज्य सरकार से निवेदन रहेगा कि बिजली के फि़ क्स चार्ज माफ़ करे और उद्योग पर थोपे गए।