
Shardiya Navratri 2017: Santoshi Maa temple of Jodhpur
जोधपुर के मंडोर रोड कृषि मंडी के पीछे प्राकृतिक पहाडिय़ों से घिरा संतोषी माता मंदिर पूरे देश में शक्ति पीठ माना जाता है। शारदीय नवरात्रा के दौरान मंदिर में अखंड ज्योत, हवन एवं कीर्तन का आयोजन होता है जिसमें जोधपुर सहित दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, मध्यप्रदेश, चंडीगढ़, महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश व कोलकाता से बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते है। प्रत्येक शुक्रवार को मंदिर में मेले सा माहौल रहता है। मंदिर गर्भगृह से सटे करीब 18 फुट गहरे प्राकृतिक अमृत जलकुंड के उपर एक हरे भरे वट वृक्ष की खुली जड़े जलकुंड के पानी को नमन करती नजर आती है।
पिछले 163 साल से वट वृक्ष का आकार जस का तस बना हुआ है। मंदिर ट्रस्ट के वर्तमान अध्यक्ष जगदीश सांखला ने बताया कि उद्यापन के लिए बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए मंदिर परिसर में धर्मशाला है जहां केवल परिवार सहित आने वाले श्रद्धालुओं को ठहरने की निशुल्क सुविधा है। चट्टान के बीच प्राकृतिक सौन्दर्य से घिरे मंदिर के मुख्य गर्भगृह की चट्टानें भी मानों शेषनाग की तरह माता की मूर्ति पर छत्रछाया करती नजर आती है।
प्रसादी सिर्फ गुड़ और चना मंदिर में माता को सिर्फ गुड़ और चना की प्रसादी चढ़ाई जाती है। ऐसी भी मान्यता है कि कुंवारी कन्या 16 शुक्रवार तक माता का व्रत रखती है तो उसकी मनोकामना भी पूरी होती है। देश भर में एकमात्र प्रगट मूर्ति मंदिर कितना प्राचीन है इसका सहीं वर्णन तो कहीं नहीं मिलता है लेकिन 1963 में दैवीय चमत्कार के बाद श्रद्धालुओं की संख्या में निरन्तर बढ़ोतरी होती गई जो आज भी जारी है।
मंदिर ट्रस्ट के पूर्व अध्यक्ष विद्याशाला चांदपोल निवासी उदाराम सांखला 55 साल तक मंदिर के विकास कार्यों में दिन रात जुटे रहे। वर्ष 2010 में 30 अगस्त को उनके देवलोक होने के बाद उनके पुत्र एवं वर्तमान में ट्रस्ट के अध्यक्ष जगदीश सांखला मंदिर की व्यवस्था देखते है। सांखला ने बताया कि संतोषी माता की देश भर में एकमात्र प्रगट मूर्ति होने के कारण लोगों की आस्था है। मंदिर में माता के चरण दर्शन है। पुरुषोत्तम मास के दौरान जोधपुर में होने वाली भोगिशैल परिक्रमा यात्रा के अंतिम दिन मंडोर पड़ाव स्थल से रवाना होकर श्रद्धालु संतोषी माता मंदिर में जरूर शीश नवाते है। मंदिर विकास के लिए किसी तरह का कोई चंदा नहीं लिया जाता है और ना ही माता की चौकी लगाई जाती है। मंदिर में पूर्व उपराष्ट्रपति भैरुसिंह शेखावत, पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह, फिल्म निर्माता गुलशन कुमार, पाŸवगायिका अनुराधा पौड़वाल सहित प्रदेश के कई मुख्यमंत्री तथा विदेशों के श्रद्धालु शीश नवाने आ चुके है।
Published on:
23 Sept 2017 07:44 pm
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