पंडरिया और बोड़ला विकासखंडों के वनांचल में आंकड़े काफी डरावने हैं, क्योंकि इन दोनों विकासखंडों में करीब 300 शिशुओं ने दम तोड़ा है। एेसा इसलिए कि जिला अस्पताल के अलावा अन्य स्वास्थ्य केंद्रों में नवजात के लिए कोई सुविधा नहीं है। शासन-प्रशासन शासकीय स्वास्थ्य केंद्रों में सुरक्षित प्रसव कराने के लिए जोर दिया जाता है, लेकिन प्रसव के बाद शिशुओं की सुरक्षा भगवान भरोसे ही रहती है। सरकारी अस्पताल में सैकड़ों डॉक्टर, हजारों स्वास्थ्य कर्मचारी, लाखों दवाईयां और करोड़ों रुपए खर्च के बाद भी सैकड़ों शिशु हर वर्ष दुनिया नहीं देख पाते।